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27.3.10

पलायन का अर्थशास्त्र -----भाग-2

--------संजय मिश्र ---------
बिहार की फिजा इन दिनों बदली-बदली सी है। ड्राइंग रूम से लेकर चौक - चौराहों तक ' ग्रोथ रेट ' की चर्चा हो रही है। मन पर छाए ग्रोथ रूपी ' ओवर टोन ' के मुत्तलिक सबके अपने अपने दावे हैं.... तर्क और वितर्क में उलझे हुए। और इन सबके बीच ' मनी ऑर्डर इकोनोमी ' की मौजूदगी कहीं गुम हो गई है .....जी हाँ वही ' मनी आर्डर इकोनोमी ' जो ' जंगल राज ' के आरोपों के दौर में बिहार का संबल बनी। ' वाइल्ड इस्ट फेनोमेना ' का प्रतिफल थी ये। इस तरह की इकोनोमी का संबंध असहज परिस्थितियों में पलायन करने वालों के हार - तोड़ मेहनत से उपजी गाढी कमाई से है जो राज्य की अर्थव्यवस्था को संभालती रही।
क्या ' मनी आर्डर इकोनोमी ' आज भी बिहार की गतिशीलता का आधार है ? बिहार के पोस्ट-मास्टर जनरल आफिस के अधिकारियों से इस संबंध में बात हुई तो उन्होंने राज्य में आने वाले मनी आर्डर की संख्या में पिछले दस साल में दस फीसदी से अधिक कमी की और इशारा किया। उधर दरभंगा में पोस्टल डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने जो आंकड़े दिए उसके मुताबिक़ जिले में आने वाले मनी आर्डर की संख्या में इस दौरान ११ से १२ फीसदी के बीच गिराबट दर्ज हुई। ये आंकड़े साल २००१ से २००९ तक के हैं। साल २००२ के आंकड़े को छोड़ दें तो साल दर साल की गिरावट एक ' पैटर्न ' बनाती है। ख़ास बात ये है की इस अवधि के दौरान राज्य में राबडी देवी और नीतीश कुमार की सरकारें रही हैं।
क्या इस गिरावट का संबंध पलायन में लगे किसी प्रकार के ब्रेक से है ? पोस्टल अधिकारियों ने हालांकि मनी आर्डर की संख्या में कमी के अलग ही कारण बताए। इनकी माने तो राज्य में बैंकिंग सेवा के बढ़ने के कारण ये ' ट्रेंड ' दिख रहा है। आनलाइन बैंकिंग ने मनी आर्डर सेवा पर असर डाला है ....ऐसा उनका मानना है। इसके अलावा मनी आर्डर के जरिये अधिकतम ५००० रूपये भेजने की सीमा को भी वे इसकी वजह बताते हैं।
अब सवाल उठता है की क्या बिहार में बैंकिंग सेवा का अपेक्षित और एकसमान विस्तार हुआ है ? जिन इलाकों से बड़ी संख्या में पलायन हो रहे हैं उस पर निगाह डालें। दरभंगा जिले के बिरौल , घनश्यामपुर , किरतपुर, कुशेश्वरस्थान , मधुबनी जिले के झंझारपुर और बेनीपट्टी , सीतामढी और शिवहर जिलों के बाढ़ग्रस्त इलाके , मुजफ्फरपुर के पूर्वी- दक्षिणी क्षेत्र , समस्तीपुर का हसनपुर इलाका , खगड़िया जिले के सालो भर जलजमाव झेलने वाले अधिकाँश इलाके , सहरसा और सुपौल जिले के पश्चिमी क्षेत्र , कोसी के पूर्वी और पश्चिमी तटबंध के बीच का विस्तृत भाग .... बैंकिंग सेवा के मामले में हतोत्साहित करने वाला परिदृश्य पेश करता है।
इस बीच फरवरी महीने में ही रिजर्व बैंक की केंद्रीय बोर्ड की पटना में बैठक हुई। बैठक में हिस्सा लेते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बा राव ने बिहार के सभी ब्लाकों में बैंक की शाखा नहीं होने पर घोर चिंता जताई। इसी बैठक में भाग लेने आए तेंदुलकर कमिटी के अध्यक्ष - एस तेंदुलकर ने खुलासा किया कि राज्य में गरीबों की संख्या में इजाफा हुआ है।
एक तरफ बैंकिंग सुविधा की कमी, दूसरी ओर गरीबों की संख्या में बढ़ोतरी । तो फिर मनी आर्डर की संख्या में गिरावट का रूझान क्या दिखाता है ? दरअसल इसका जवाब जगदीश और बिलट के बीच पनपे लेन- देन में तलाशना होगा ।
.................................जारी है................................

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