tag:blogger.com,1999:blog-79108715456153505722024-03-13T10:04:57.397-07:00ayacheesanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.comBlogger90125tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-56253538992486334402015-04-22T22:17:00.002-07:002015-04-22T22:17:33.445-07:00गजेन्द्र हंसा भी था .... <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">गजेन्द्र हंसा भी था .... </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">----------------------- </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">संजय मिश्र </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">--------------------- </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">मां जनती है... संतान के लिए उसकी ममता विवेक नहीं देखती... एक रिपोर्टर (पत्रकार) जब अपनी खबर फाइल कर देता है तो उसे प्रसव पीड़ा के बाद के संतोष जैसा ही महसूस होता है... किसान खेत में जब लहलहाती फसल देखता है तो वो उस मां की तरह खिल जाता है.. जो अपने उठे हुए पेट देख छुइ-मुइ सी रहती है... फसल पर कोई आफत आ जाए तो वह किसान मिसकैरेज वाली पीड़ा के आगोश में चला जाता है... </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;"><br /></span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">इंडिया में ओले और पानी के कारण फसल बर्बाद होने पर लोगों का ध्यान कई दिनों से टंगा हुआ है... पर दर्द जतन से झांक नहीं पाया ... राजस्थान के गजेन्द्र ने जो लीला दिखाई... अपनी ईहलीला समाप्त कर... उसने किसान की पीड़ा के वीभत्स रूप से सामना करवा दिया... जो भी सार्वजनिक चेहरे इस मुद्दे पर स्टेकहोल्डर बनने को आतुर थे... सबका चेहरा उतर गया...</span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">पीएम बस ट्वीट कर पाए... राहुल का मुंह लटक गया... केजरीवाल जीवन भर आंखों के सामने मौत को गले लगाने वाले उन दृष्यों को भुला नहीं पाएंगे... अपने वलंटियर की मौत रूपी अपने अभाग्य को कोसते रहेंगे...घुट-घुट कर... नीतीश भाग-भाग कर बिहार के विभिन्न इलाकों में ओले, आंधी, तूफान से हुई बर्बादी को देख रहे... सारे बयानवीर निस्तेज बने बैठे हैं... </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;"><br /></span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">देश मदहोश था... जमीन बिल और फसल बर्बादी जैसे निहायत ही दो अलग अलग किस्म के मुद्दों के फेट-फांट पर... गजेन्द्र ने चेता दिया कि सुधीजन फसल बर्बादी पर धाती पीटने का अभिनय कर लें या फिर जमीन बिल पर... पेड़ पर चढे गजेन्द्र के विजुअल्स को याद करें... फिर-फिर से देखें... वो एक दो बार हंसा भी था... वो हंसी किसान के नाम पर रोने वालों के अभिनय देख निकल आए थे या फिर वो जीवन के मजाक बनने पर फूट निकला था... ? </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;"><br /></span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">मोदी महीने भर से अपने नेताओं को कह रहे कि जनता को हकीकत बताई जाय... कब बताएंगे किसी को नहीं मालूम... जमीन बिल पर बताएंगे या फसल तबाही पर ये भी स्पष्ट नहीं ? ... पेड़ पर लटके किसान ने कह दिया है कि फसल की हालत देखकर किसान अधीर हो चला है... </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;"><br /></span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">राहुल अवतरित हुए.... किसानों के दर्द पर संसद में बिना लिखा भाषण दिया... उंचे स्वर में बोले... नहीं मालूम कि इंडिया के किसानों ने उनके संबोधन में अपनी पीड़ा को छलकते देखा या नहीं... पर संसद से निकलने के बाद मीडिया के सवाल ने देश को चौंकाया होगा--- राहुलजी आपका भाषण कैसा था--- राहुल ने भी बिना समय गंवाए कहा--- भाषण अच्छा रहा-- तो क्या राहुल परीक्षा देने गए थे? ... और खुद अपनी परीक्षा का नतीजा भी बता दिया... </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;"><br /></span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">भाषण से पहले राहुल के घर के सामने किसानों का जमावड़ा... किसान के पहनावे में खड़े कई लोगों के हाथों में तख्ती थी जिसमें राहुल के फोटो लगे थे... फसल चौपट होने से गमजदा किसान तख्ती लेकर घूमेगा क्या?.. संसद के भाषण के बाद सोनिया के आवास पर फोटो सेशन... मिसकैरेज से गुजरने वाले किसान के लिए फोटो सेशन?... संजीदगी का कौन सा ग्रामर लिख रहे थे कांग्रेसी? </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;"><br /></span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">तबाही हुई तो मुआवजा मिलेगा...पहले भी ऐसा ही होता रहा... इस दफा भी... जाहिर है मुआवजा राज्य सरकारें बांटेंगी... पर किसानों के नाम पर पूरे राष्ट्रीय विमर्श में राज्य सरकारों पर कोई प्रहार नहीं... संसद में किसानों की आत्महत्या से जुड़े राज्यवार आंकड़े जब देश के कृषि मंत्री ने रखना शुरू किया तो राहुल अपने नेताओं को लेकर संसद से निकल गए... असल में अधिकांश राज्यों ने जो रिपोर्ट भेजी है उसमें आत्महत्या से इनकार किया गया है... यूपी की रिपोर्ट भी यही कह रही थी... पर मुलायम पत्रकारों से किसान की समस्या पर निर्लज्ज होकर प्रवचन झाड़ रहे थे... </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;"><br /></span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">मुआवजा ब्लाक स्तर पर बंटेगा .... बंट रहा होगा... उस पर निगाहें घूमने में दिक्कत साफ देखी जा रही है... बिहार में नंगे होकर प्रदर्शन हुए... खेत में लगी गेंहूं की फसल को किसानों ने अपने हाथ से आग लगाई... स्त्रियों के भूगोल में रूचि रखने वाले शरद यादव मुखर नहीं हुए... नीतीश और लालू भी नहीं... न जाने पूर्व पीएम और किसी जमाने में किसान नेता रहे देवगौड़ा क्या कर रहे होंगे ... </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;"><br /></span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: helvetica, arial, 'lucida grande', sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">दिलचस्पी मुआवजे पर है या पीएम मोदी की लानत-मलानत पर? ... गजेन्द्र अपनी सिसकी को दबाकर शायद इसी राजनीतिक सोप-ओपेरा पर हंस रहा होगा... येचुरी भी उसे देखने अस्पताल हो आए... उसके ओठों में इसी सोप-ओपेरा पर निकले अट्टहास को लाज से पढने गए हों...</span></div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-79509522238413910032015-03-05T22:46:00.000-08:002015-03-05T22:46:05.689-08:00हे पार्थ.. मुझे मत संभालो<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">हे पार्थ.. मुझे मत
संभालो</span><span lang="HI"> </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">---------------------------<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संजय मिश्र<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">----------- </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">योगेन्द्र और
प्रशांत को धकियाए जाने पर जितनी हलचल आआप में है उससे कहीं ज्यादा बेचैनी मीडिया
और बौद्धिकों के एक हिस्से के बीच पसरी है... रूथलेस होकर देखें तो कह सकते कि इस
प्रकरण को लेकर इस जमात में ही दरार सतह पर आ गई है...ये खलबली महानता थोपने की
जिद पर अड़े पत्रकारों, पेशेवरों और प्रोफेसरों के कारण पनपी है... साथ ही उस
लालसा के कारण भी जन्मी है कि केजरीवाल को मोदी विरोध की देशव्यापी धूरी बनाया जाए
... धूरी बनाने के लिए मफलर मैन पर आदर्शवादी राजनीति करने वाले का मुलम्मा चढ़ाया
जाए। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">जिस दिन योगेन्द्र
और प्रशांत पीएसी से अपमानित करके निकाले गए उस दिन वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून
बाजपेयी का चेहरा उड़ा हुआ था... ... इस पत्रकार के कहे एक-एक शब्द में केजरीवाल
के लिए निराशा झांक रही थी... मीडिया के भीतर ..देशव्यापी विस्तार और मोदी विरोधी
धूरी की मुहिम के एक चाणक्य पुण्य भी रहे हैं...पर मकसद के फिसलने के गम में डूबने
वालों में वे अकेले नहीं हैं ... शपथ ग्रहण समारोह के दिन ही बिजली गिरी थी
इनपर... जब केजरीवाल ने ऐलान कर दिया था कि फिलहाल वे दिल्ली से हिलेंगे नहीं...
मतलब ये कि न तो वे वैकल्पिक और आदर्श वाली राजनीति का भार सह सकते और न ही इंडिया
भर में विस्तार की तत्काल इच्छा रखते। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">केजरीवाल ने साफ संकेत
किया है कि प्रतीकों की राजनीति को जमीन पर उतारना संभव नही ... ऐसा करना
व्यावहारिक नहीं... बावजूद इसके योगेन्द्र गुट के जरिए जाति और धर्म की राजनीति का
इस्तेमाल करने से गुरेज नहीं करने वाले केजरीवाल पर दबाव बनाया गया... उस
योगेन्द्र को अगुआ बनाया गया... वैकल्पिक राजनीति का पहरूआ बनाया गया... जी हां...
उसी योगेन्द्र को जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान अपनी जीत सुनिश्चित करने के
उमंग में जातिवादी कार्ड खेला था...उन्होंने खास जाति के वोटरों के बीच यादव होने
का हवाला दिया था... अभी के प्रकरण में योगेन्द्र को लाभ हुआ है....इस संघर्ष ने
उनका कद और बड़ा किया है। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">गौर करने वाली बात
है कि केजरीवाल की पार्टी के नेता निहायत ही मद्धम स्वर में नई राजनीति की बात
करते...पार्टी के बाहर वाले उनके पैरोकार ही नई राजनीति को उच्च स्वर देते आए
हैं... केजरीवाल के लोग पहले से ही वो सारे हथकंडे अपनाते रहे हैं जो पारंपरिक
राजनीति के दायरे में आती है ... इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भी अंदर
वाले लोग इस हकीकत पर बेपर्द होने से बचने के लिए बाहर वालों का सहयोग लेते रहे...इसे
ढकते हुए मीडिया ने केजरीवाल के विरोधियों की चाल को नकारात्मक राजनीति करार देकर
पंक्चर कर दिया। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मौजूदा प्रकरण में वही
शब्द सामने तैर रहे हैं जिन्हें नकारात्मक कहा गया था...आशुतोष धूंध साफ नहीं करते
कि अल्ट्रा लेफ्ट की उनकी परिधि में प्रशांत ही हैं या केजरीवाल का – अराजक हूं-
वाला उद्घोष भी... केजरीवाल के विरोधियों को नकारात्मक कहने वाले पत्रकार सन्न
हैं...कांग्रेस का विकल्प बनाने के सपने, मोदी विरोध की धूरी ठोकने की चाहत और इस
लक्ष्य की खातिर जिस केजरीवाल पर महानता थोपने की जद्दोजहद है वही नायक फिलहाल तैयार
नहीं हो रहा...वैसे ही जैसे हल जोतने वाला बैल अचानक जुआ गिराकर बैठ जाए... केजरीवाल
जानते हैं कि दिल्ली जीत के समय लालू और नीतीश सरीखे नेताओं की प्रशंसा लंबे समय
के लिए नहीं है... उन्हें इत्मिनान नहीं है कि रिजनल क्षत्रप उनका नायकत्व स्वीकार
कर ही लेंगे। </span><o:p></o:p></div>
<br />
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">आआप में दखल रखने
वाले मीडिया के लोगों और बैद्धिकों में सपने बिखरने से मायूसी है... ... उनकी चाहत
और केजरीवाल की रणनीति के बीच टकराव से वे आहत हैं... विचारों का घर्षण कह कर वे इस
संकट से उबरने के संकेत भी दे रहे हैं... वे अभी योगेन्द्र गुट पर दांव लगाए
रखेंगे ताकि केजरीवाल पर दबाव बनाए रखा जाए... सुलह हो जाए... इसमें नाकाम रहे तो
वे आखिरकार केजरीवाल पर ही आस्था जताते पाए जाएंगे... मफलर मैन की शर्तों पर ही...पार्टी
के कनविनर पद पर बने रहने वाले महत्वाकांक्षी केजरीवाल मुफीद वक्त का इंतजार
करेंगे...पैर पसारने के लिए... और तब ये बाहरी लोग सुप्रीमो केजरीवाल को ही सेवियर
करार देने से नहीं हिचकेंगे... इंडिया के इस तरह के कथित समझदार लोगों का ये शगल
रहा है। </span><o:p></o:p></div>
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-3529405918060486282015-02-22T08:41:00.001-08:002015-02-22T08:41:13.581-08:00बड़ी लकीर का विप्लव<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"> बड़ी लकीर का विप्लव </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"> ------------------------- </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"> संजय मिश्र </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"> ------------ </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">बीजेपी के इशारे पर
मनमोहन सिंह ने सोनिया गांधी को मझधार में फसा दिया--- कुछ इसी तरह की हेडलाइन
टीवी चैनलों पर चले तो आप हैरान हुए बिना नहीं रहेंगे... बिहार में जो राजनीतिक
विप्लव आया और आगे जो कुछ होगा उसकी ऐसी ही नादान व्याख्या कर टरकाया नहीं जा
सकता.... गहरे में उतरें तो समझ आ जाएगा कि मामला मंडल राजनीति पर वर्चस्व के लिए
दो दावेदारों की महत्वाकांक्षा के टकराव का है। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">धूंध इसलिए छाई है कि
दिल्ली की सियासत की अपनी जरूरत है जबकि पटना की चाल थोड़ी अलग है। दिल्ली की
उम्मीद यानि कथित सेक्यूलर राजनीति की खातिर चहेते नीतीश की जरूरत ..मीडिया के
खांचे में भी बिहार के लिए यही चेहरा चाहिए... सो इस राज्य के राजनीतिक बखेरे के
पीछे एकमात्र कारण बीजेपी की साजिश को बताया गया... लेकिन पटने की हलचल बिन मंडल
राजनीति के संभव कहां... यहां का राग तो मंडल और विकास के बीच कशमकश के आसरे है। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">बिहार में मंडल
राजनीति के कई पिता हुए ... लालू हैं... और अब नीतीश भी हैं...बीच-बीच में दलित
आकांक्षा हुलकी मारा करती... लालू के युग में दलित उफान के लिए अपेक्षित खाद-पानी
नहीं मिला... जब पिछड़ावाद इस उभार पर हमलावर
हुई तो सीपीआई (एमएल) का अबलंब जरूर मिला... पर दलित चेतना को ये नाकाफी ही लगा...
नीतीश आए तो उनकी मुराद कुलाचें मारने लगी...वे उम्मीद से तर हो गए। </span><o:p></o:p></div>
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<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
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<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">दलित-महादलित
राजनीति से शंका के कुछ बादल उमड़ पड़े... न्याय के साथ विकास और सुशासन की सख्ती
में मंडल के दौर वाली बेसब्री की गुजाइश कम थी... बीजेपी से अलग होने के निर्णय के
बाद जेडीयू के अन्दर जो असंतोष पनपा उसे थामने के लिए नीतीश ने दिल्ली की सेक्यूलर
राजनीति के शोर का सहारा लिया.. न्याय के साथ विकास पीठ पीछे रहा और साल २०१४ की
फरवरी में आरजेडी के १३ विधायकों को तोड़ने की कवायद हुई ... उसी साल लोकसभा चुनाव
से पहले उन्होंने जो घोषणापत्र जारी किया वो मंडलवाद की ओर लौटने का शंखनाद था। </span><o:p></o:p></div>
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<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">उन्होंने मान लिया
कि उनकी नैया पार लगने के लिए मंडल की पतवाड़ जरूरी है..... चीजें उसी दिशा में जा
रही थी... जीतन राम मांझी भी उसी शतरंज के मोहरे बनाए गए... महत्वाकांक्षी मांझी शुरू
में तो सावधान रहे...पर धीरे-धीरे वे पैर पसारने लगे... बतौर सीएम उनके सरकारी
निर्णय तो संकेत दे ही रहे थे उनके सोचे समझे बयान ने नीतीश के कान खड़े कर दिए। बेशक
मौजूदा संकट में बीजेपी और आरजेडी की रणनीति – फिशिंग इन द ट्रबल्ड वाटर – वाली
रही... और ये – ट्रबल – मांझी के बयानों ने पैदा किए थे... नीतीश के मंसूबे
चकनाचूर हो रहे थे और उनकी यूएसपी तार-तार हो रही थी...मांझी एक तरफ मंडल मसीहा का
दावेदार बनने की ओर अग्रसर हो गए तो दूसरी ओर वे नीतीश की छवि ध्वस्त करने लगे। </span><o:p></o:p></div>
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<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">नीतीश की कोशिश मंडल
अवतार के साथ ही गैर भ्रष्ट और सुशासन वाली छवि को एक साथ पिरोने की रही... उनके
मंडलवाद में कोलाहल नहीं... हाहाकार नहीं... बदला लेने वाली उग्रता नहीं...बस..
शांति से...धीरे-धीरे मकसद पूरा कर लेने की आतुरता.... वहीं जीतन राम मांझी ने
लालू शैली को अपनाया ही नहीं उसे विस्तार भी दिया...दलितों को पढ़ने-लिखने, शराब
छोड़ने, परिवार के लिए सजग रहने का जितना आग्रह मांझी ने दिखाया उतना किसी मंडल
नेता ने आज तक नहीं किया...मांझी के बयानों की पड़ताल करें तो नीतीश खेमे में मची
खलबली समझ में आ जाएगी। </span><o:p></o:p></div>
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<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">राजनीति हाथ लगे
अवसर का लाभ उठाने का नाम है...इसे मांझी ने बखूबी इस्तेमाल किया... शुरूआत १८
अगस्त से करें...उस दिन मधुबनी के ठाढ़ी में वे परमेश्वरी देवी मंदिर के दर्शन को
गए... लेकिन महीने भर बाद २८ सितंबर को पटने में आरोप लगा दिया कि उनके लौटने के
बाद उस मंदिर को धोया गया... मौका था भोला पासवान शास्त्री की १०० वीं जयंती के
कार्यक्रम का... उनकी ही पार्टी के कई नेताओं ने इसे मनगढंत प्रकरण करार दिया।</span><o:p></o:p></div>
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<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">लेकिन लालू शैली में
संदेश जा चुका था... लालू कहा करते थे कि नाथ पकड़कर वे भैंस पर चढ़ते थे... तो
मांझी ने चूहे खाने की बात उठाई... १७ अक्टूबर को डाक्टरों का हाथ काट लेने की बात
कही तो अगले ही दिन गरीबों का काम नहीं होने पर अधिकारियों का हाथ काट लेने की
धमकी दे दी...११ नवंबर को कह दिया कि सवर्ण विदेशी हैं... मूल निवासी हम... राजा के
हक हमरा तो राज दूसरे कैसे करेंगे.. लगे
हाथ कहा कि जिसके पेट में दर्द हो रहा वे अंतरी निकलवा लें। </span><o:p></o:p></div>
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<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मांझी के ये बयान
लालू के भूराबाल साफ करो के नारे से भी वीभत्स संदेश दे रहे थे... गठबंधन तोड़ने
के बाद जेडीयू के रैंक एंड फाइल में बढ़ते असंतोष को दबाने के लिए नीतीश का मांझी
के रूप में जो मास्टर स्ट्रोक था वो अब भारी पड़ रहा था... इतना ही नहीं नीतीश की
शो-केस करने वाली योजनाओं को मांझी ने जो विस्तार दिया वो दलितों के बीच उनका कद
बढ़ा रहा था... मांझी का बार-बार ये कहना कि नीतीश से बड़ी लकीर खींच दी है...
जाहिर है - बड़ी लकीर – नामक शब्द नीतीश को शूल की तरह चुभता होगा। </span><o:p></o:p></div>
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<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मांझी इतने पर नहीं
रूके... सीएम हूं पर डिसिजन लेने में डर लगता है (२६ अक्टूबर)... मुझे तो लाचारी
में सीएम बनाया गया है (२४ अक्टूबर) जैसे बयान रिमोट से सरकार चलने के आरोप को हवा
दे रहे थे... उधर स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह का --- मैं लेटर बाक्स हूं- वाला
बयान इसे पुष्ट कर रहा था... आखिरकार २५ नवंबर को नीतीश को जहानाबाद में झेंपते
हुए कहना पड़ा कि आज की राजनीति में रिमोट से सरकार चलाने जैसी बात नहीं होती। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">नीतीश इतराते थे कि
उनके राज में भ्रष्टाचार नहीं हुआ। मांझी इसकी पोल खोलने को बेताव रहे... बिजली
बिल में खुद घूस देने की बात कह दी.... ठीकेदार ठनठना देता है तभी बनता है
एस्टीमेट (२७ दिसंबर) ... टीकाकरण के फर्जी आंकड़े बनाए जाते हैं (२० दिसंबर)...इन
बयानों से मन नहीं भरा तो कह दिया कि मुझे भी कमीशन का हिस्सा आता है... इस बात से
सजग कि इन बयानों से नीतीश की इमानदार वाली यूएसपी ध्वस्त हो रही। </span><o:p></o:p></div>
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<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">महत्वाकांक्षा इतनी
बढ़ चली कि जीतन राम मांझी दलित पीएम बनने के सपने देखने लगे...अगला सीएम दलित
होगा...लोग कह हथी अगलो सीएम जीतन होतई....ठोकर खाते-खाते सीएम बन गए.. एही ठोकर
में कहीं हम पीएम न बन जाएं (१९ नवंबर) ....और फिर ०३ दिसंबर को दुहरा दिया कि
ठुकराते ठुकराते सीएम बन गया तो एक दिन पीएम भी बन जाउंगा। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">महत्वाकांक्षा का
दवाब इतना पड़ा कि मांझी सीधे-सीधे नीतीश को चुनौती देने लगे... नसीहत देते रहिए,
हम नहीं झुकेंगे (२३ नवंबर) ....बूढ़ा तोता पोस नहीं मानता (१३ दिसंबर) जैसे बयान
सियासी तौर पर नीतीश के लिए झेलना मुश्किल हो रहा था... चुनौती देने की मनोदशा में
मांझी कैसे पहुंच गए? असल में उन्होंने बिहार में अपना कद बड़ा कर लिया और कथित २२
फीसदी वोट-बैंक का मसीहा होने के नाम पर विधानसभा चुनाव में जेडीयू का सीएम
उम्मीदवार बनना चाहते थे। </span><o:p></o:p></div>
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<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">लेकिन जनता परिवार
के विलय की स्थिति में उनकी दावेदारी संभव नहीं होती...यहां नीतीश की दावेदारी
बड़ी थी... यही कारण है कि मांझी विलय के विरोध में थे और विलय के विरोधी विधायकों
की धूरी बन गए... राजनीतिक तौर पर नीतीश को हासिए पर नहीं धकेल पाए मांझी... लेकिन
हैसियत ऐसी बना ली है कि चुनावों तक प्रासंगिक बने रहेंगे। </span><o:p></o:p></div>
<br />
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<br /></div>
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sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-4730422545672832802014-10-27T02:05:00.002-07:002014-10-27T02:05:28.329-07:00मुसलिम अटीट्यूड – परसेप्शन एंड रिएलिटी---- भाग-६ <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मुसलिम अटीट्यूड –
परसेप्शन एंड रिएलिटी---- भाग-६ </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">-----------------<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संजय मिश्र</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">----------- <o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">लालू छुटपन में जब
गांव के अपने आंगन में मिट्टी में लोटते होंगे...मुलायम तरूणाई में जब गांव के
गाछी में पहलवानों के दांव देख अखाड़े में एन्ट्री मिलने के सपने देख रहे होंगे...
कम से कम उस समय तक... मिथिला के गांवों की हिन्दू ललनाओं का अपनी देहरी के सामने
से गुजरते मुसलमानों के</span><span lang="HI"> </span><span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मुहर्रम पर्व के दाहे (तजिया) का आरती उतारना आम
दृष्य रहे..... खुदा-न-खास्ता देहरी के सामने किसी पेड़ की डाल दाहा की राह में
अवरोध बनता तो उसी घर के पुरूष कुल्हाड़ी से उसे छांटने को तत्पर रहते... जुलूस से
निकल कर किसी मुसलमान को डाल नहीं काटना पड़ता ... इन नजारों के दर्शन आज भी उतने कम
नहीं हुए हैं। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">पर आरती उतारने वाली
वही महिला मुसलमान के हाथ का बना खाना कुबूल करने को तैयार नहीं होती थी... ये
हकीकत रही ... अंतर्संबंधों का ये जाल सैकड़ो सालों में बुना गया होगा... उस समय
से जब मुसलमान राजा रहे होंगे और हिन्दू प्रजा... समय के साथ वर्केबल रिलेशन आकार
ले चुका होगा... गंगा-जमुनी तहजीब के इस तरह के अंकुर सालों की व्यवहारिकता से
फूटते आ रहे होंगे...और तब न तो जहां के किसी हिस्से में समाजवादी होते थे और न ही
वाममार्गी... जमीनी सच्चाई ने इस भाव को सिंचित होने दिया होगा। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">बेशक संबंधों के इस
सिलसिले को आर्थिक गतिविधियों से संबल मिलता रहा... और जब एक दूसरे पर आर्थिक
निर्भरता हो तो धार्मिक प्राथमिकताओं की सीमा टूटना असामान्य नहीं है। इंडिया के
दो बड़े समुदाय जब इस तरह जीवन यात्रा को बढ़ा रहे हों तब हाल के कुछ प्रसंग आपको
चकित करेंगे... खासकर बहुसंख्यकों का दुराग्रह कि मुसलमान युवक डांडिया उत्सवों
में न आएं... जाहिर है ये बहुसंख्यक दरियादिली से इतर जाने वाले लक्षण हैं...
इसमें अपनी दुनिया में सिमटने की पीड़ा के तत्व झांक रहे हैं जो कि नकारात्मक
ओवरटोन दिखाते हैं। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">ऐसा क्या हुआ कि
हिन्दू इस तरह की सोच की ओर मुड़ा... समझदार तबके को इसके कारणों पर चिंता जतानी
चाहिए थी... पर इस देश ने ऐसा नैतिक साहस नहीं दिखाया... इसी बीच लव जिहाद के
मामले आए और सुर्खियां बने... चर्चा चरम पर रही जब कई राज्यों में उपचुनाव होने
वाले थे... पर ये व्यग्रता उस दिशा में नहीं गई जिधर उसे जाना चाहिए था...
दक्षिणपंथी संगठनों की निगाहें चुनाव में फायदा उठाने पर टिकी रही जबकि
गैर-दक्षिणपंथी तबके का रूख न तो लव जिहाद के पीछे की मानसिकता की ओर गया और न ही
चुनावी लाभ लेने की प्रवृति को उघार करने में रत रहा। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">जाहिर है लव जिहाद
में नकारात्मक मनोवृति के एलीमेंट हैं... यहां प्रेम की पवित्रता पर धर्मांतरण का
स्वार्थ हावी होता है... जिसे प्रेम कर लाए... इस खातिर ... उसकी प्रताड़ना की ओर
प्रवृत होने में संकोच तक नहीं है...लड़की के धर्म के लिए नफरत भाव और बदले की
विशफुल इच्छा...मीडिया में आई खबरें लव जिहाद के लिए सचेत प्रयास के पैटर्न को
उजागर कर रही थीं...मेरठ की घटना ने पहले चौंकाया... कांग्रेस के प्रवक्ता मीम
अफजल ने निज जानकारी के आधार पर धर्म परिवर्तन के लिए प्रताड़ना की बात को स्वीकार
किया। घटना की निंदा की और दोषियों को सजा देने की बात कही... रांची की निशानेबाज
तारा का मामला तो आंखें खोलने वाला था। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">लेकिन
गैर-दक्षिणपंथी तबके का नजरिया तंग तो रहा ही साथ ही चिढ़ाने वाला भी... तीन पहलू
सामने आए... लव जिहाद के अस्तित्व को नकारना, लव जिहाद की तुलना गोपी-कृष्ण के
आध्यात्मिक प्रेम के उच्च शिखर तक से कर देना... और लव जिहाद जैसे नकारात्मक
मनोवृति को डिफेंड करने के लिए सकारात्मक भावों वाली गंगा जमुनी तहजीब को झौंक
देना...गंगा जमुनी तहजीब को ढाल बनाने वाले इस संस्कृति को पुष्ट कैसे कर पाएंगे? </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">इस बीच सोशल मीडिया
में एक शब्द – आमीन ( जिसका अर्थ है ..ईश्वर करे ऐसा ही हो) - चलन में है...
अधिकतर वाममार्गी हिन्दू अपने आलेख के आखिर में जानबूझ कर इस शब्द का इस्तेमाल कर
रहे हैं... इस उम्मीद में कि इससे गंगा-जमुनी तहजीब की काया मजबूत होगी... संभव है
उन्हें पता हो कि देश के कई हिस्सों में मुसलमान स्त्रियां सिंदूर लगाती हैं...और
अब ऐसी महिलाओं की तादाद में हौले-हौले कमी आ रही है...क्या इंडिया में सिंदूर
लगाने की स्त्रियोचित लालसा से मुसलमान स्त्रियों के भाव-विभोर हो जाने में
गंगा-जमुनी संस्कृति के तत्व नहीं खोजे जा सकते? </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">क्या ताजिया के
जुलूस की आरती उतारने वाले दृष्य नहीं सहेजे जाने चाहिए? क्या आपको दिलचस्पी है ये
जानने में कि कोसी इलाके के कई ब्राम्हण – खान – सरनेम रखते हैं? ... कभी आपने
रामकथा पाठ.. भगवत कथा पाठ वाले प्रवचन सुने हैं... अभी तक नहीं तो थोड़ा समय
निकालिए... सबके न सही मोरारी बापू और चिन्मयानंद बापू को ही सुन लीजिए... मुसलिम
जीवन के कई प्रेरक प्रसंग वो सुनाते हुए मिल जाएंगे ... कबीर तो घुमड़-घुमड़ कर आ
जाते हैं उनकी वाणी में। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">गंगा-जमुनी संस्कृति
के अक्श को जब देखना चाहेंगे समाज में तब तो दिखेगा उन्हें... कला, संगीत और
आर्किटेक्चर की विरासत से आगे भी है दुनिया... चौक-चौराहों के लोक में भी ये
जीवंतता के साथ दिखेगा... छठ, दुर्गा पूजा और गणेश पूजा की व्यवस्था संभालने वाले
मुसलमानों का हौसला भी बढ़ाएं कांग्रेस ब्रांड सेक्यूलरिस्ट। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">हिन्दू-मुसलिम
डिवाइड से दुबले हुए जा रहे लोगों को बहादुरशाह जफर के पोते के आखिरी दिनों की तह
में जाना चाहिए... साल १८५७ की क्रांति से अंग्रेज आजिज आ चुके थे... वे बहादुरशाह
जफर के परिजनों के खून के प्यासे हो गए थे... दिल्ली के खूनी दरवाजे के पास
बहादुरशाह के पांच बेटों को उन्होंने बेरहमी से मार दिया... १८५८ में बहादुरशाह
जफर के पोते और सल्तनत के वारिस जुबैरूद्दीन गुडगाणी दिल्ली से भाग निकलने में
कामयाब हो गए... छुपते रहे... आखिर में १८८१ में बिहार के दरभंगा महाराज ने
जुबैरूद्दीन को शरण दी साथ ही सुरक्षा के बंदोवस्त किए...इस तरह के रिश्तों की याद
किसे है? डिवाइड की चिंता जताने वालों को नहीं पता कि जुबैरूद्दीन का मजार किस हाल
में है? </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">उन्हें साई बाबा की
याद तो आ जाती है पर दारा शिकोह का नाम लेने में संकोच होता है...टोबा-टेक सिंह
जैसे पात्र बिसरा दिए जाते... राम-रहीम जैसे नामकरण में उनकी रूचि नहीं है... वे
बेपरवाह हैं उस ममत्व से जिसके वशीभूत हो मांएं मन्नत के कारण बच्चों के दूसरे
धर्म वाले नाम रखती हैं...वे लाउडस्पीकर विवादों में तो पक्षकार बनने को तरजीह
देते पर कोई अभियान नहीं चलाते ताकि सभी धर्मों के धार्मिक स्थल लाउडस्पीकर मुक्त
हों...ये कहने में कैसा संकोच कि भक्तों की पुकार राम या अल्लाह बिना कानफारू
लाउडस्पीकर के भी सुनेंगे? </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">वे दंगों से
उद्वेलित नहीं होते... उनका मन दंगा बेनिफिसियरी थ्योरी पर टंग जाता है...उनका चित
वोट को भी सेक्यूलर और कम्यूनल खांचे में विभाजित करने को बेकरार हो जाता है... सुलगते
माहौल में सुलह नहीं कर सकते तो कम से कम हिन्दुस्तानी (भाषा) और शायरी में दिल
लगाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें... पर मुसलमानों की तरक्कीपसंद मेनस्ट्रीम सोच
की राह में बाधा खड़ी न करें... उन्हें याद रखना चाहिए कि नेहरू को राज-काज चलाने के
लिए संविधान में सेक्यूलर शब्द जोड़ने की जरूरत नहीं पड़ी थी। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">समाप्त -------------------
</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<br />
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-13281857860277373222014-10-23T08:51:00.006-07:002014-10-23T08:51:57.180-07:00मुसलिम अटीट्यूड – परसेप्शन एंड रिएलिटी---- भाग-५<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मुसलिम अटीट्यूड –
परसेप्शन एंड रिएलिटी---- भाग-५ </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">-----------------<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संजय मिश्र</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">----------- <o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">साल २०१४ के लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तब से इसकी तरह- तरह
से व्याख्या की जा रही है... एक तबका (वाममार्गी) इसे हिन्दू रिवाइवलिज्म की आहट
करार दे रहा है ...तो कोई इसे बहुसंख्यकवाद का करवट बदलना बता रहा है... वहीं
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए के एंटनी इस राय के हुए कि पार्टी की छवि एक समुदाय (मुसलमान)
की हितैषी बन कर रह गई जिसका खामियाजा इसे भुगतना पड़ा... तो क्या ये हिन्दुओं का कोई
दबा हुआ गुस्सा है जिसके उबाल मारने में कांग्रेस के अहंकार, महंगाई और घोटालों ने
केटलिस्ट की भूमिका अदा की? </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">अब जबकि महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे फिर
से बीजेपी के पक्ष में आए हैं तो क्या ये इसी हिन्दू अभिव्यक्ति की दुबारा तस्दीक कर
रही है? माना तो यही जाता कि किसी भी देश का बहुसंख्यक आम तौर पर नाराजगी नहीं
दिखाता ... फिर ऐसा क्या हुआ कि वे खास तरह की राजनीति को बर्दाश्त करने के मूड
में नहीं हैं?... क्या कांग्रेस को अहसास था कि – देश के संसाधनों पर पहला हक
मुसलमानों का है, ओसामा जी, आतंकवाद के आरोपियों के लिए पीएम मनमोहन को रात भर
नींद नहीं आई, आजमगढ़ के इनकाउंटरपीड़ियों के लिए सोनिया जी फूट-फूट कर रोई......-
जैसे उद्गार हिन्दुओं पर इतना गहरा असर छोड़ेंगे? </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र-हरियाणा चुनाव के बीच के काल
में बिहार में महागठबंधन बना है... लालू प्रसाद ने हुंकार भरते हुए कहा कि मोदी के
रथ को मंडल से रोका जाएगा... लालू जब ये कह रहे थे तो पिछड़ों और दलितों के लिए
किसी अनुकंपा भाव से द्रवित हो कर नहीं बोल रहे थे...मंडल से उनका इशारा यही था कि
मोदी के कारण जिस बहुसंख्यक उभार की बात कही जा रही उससे उन्मादी जातीए राजनीति के
जरिए हिन्दुओं की विभिन्न जातियों के बीच दरार चौड़ी करके मुकाबला किया
जाएगा...लालू राज को याद करें तो उनके इरादों की सरल व्याख्या जातियों के बीच नफरत
फैलाने में ही खोजा जा सकता है। </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मुसलमानों के बरक्स हिन्दू मानस को समझने के लिए बीते समय
में गोता लगाना लाजिमी है...नेहरू ने जब हिन्दू कोड बिल पर जिद की तो सनातनियों
में खासा आक्रोश पनपा... बिल के विरोधी आजादी मिलने से खुश थे... नव जीवन की उम्मीदों
से उत्साहित ... वे मान कर चल रहे थे कि सभी भारतवासी की खातिर नया सवेरा अवसर बन
कर आया है... लिहाजा नए सार्वजनिक व्यवहार के लिए मन को दिलासा दे रहे थे... उनको अहसास
था कि सभी नागरिकों के लिए समान सिविल कोड आएगा और उन्हें भी कुर्बानी देनी
होंगी... लेकिन नेहरू ने अपनी लोकप्रियता का उपयोग कर बिल को रास्ता दिखा ही दिया।<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">विभाजन के बाद हिन्दुओं के लिए ये पहला झटका था.... बेमन से
बिल विरोधी इस पर राजी हुए... नेहरू ने भी इस टीस को महसूस किया लेकिन पहले पीएम
का भरोसा था कि हिन्दू के जीवन में इससे जो बदलाव आएगा वो मुसलमानों को भी उकसाएगा
और समय के साथ वे सिविल कोड की ओर रूख कर लेंगे... छह दशक बीत चुके हैं इस देश के
जीवन के... लेकिन नेहरू के उस भरोसे का कहीं अता-पता नहीं है। </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">शाह बानो प्रकरण के समय आरिफ मुहम्मद खां का ऐतिहासिक विरोध
नजीर तो बना लेकिन राजीव के कांग्रेस से हिन्दू खूब निराश हुए... आज भी मुसलमान इस
मामले में किसी दखल पर सोच-विचार करना भी चाहें तो मुसलमानपरस्ती वाला राजनीतिक और
बौद्धिक जमात उसकी ढाल बनने को आतुर हो जाता है। कहा जाता है कि सिविल कोड की बात
जुबां पर लाना भी कम्यूनल सोच है... ये जमात कहने लगता है कि यूनिफार्म सिविल कोड
का मसला संवैधानिक है ही नहीं... इंडिया के लोग इन दलीलों को सुनते आए हैं... पर
कोई भी विदेशी संविधान विशेषज्ञ ऐसी सोच पर हैरान हुए बिना नहीं रहेगा। </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">ऐसा ही एक मसला वंदे मातरम गान से जुड़े सन्यासी विद्रोह का
है..पलासी युद्ध के बाद का समय है जब बिहार की पूर्वी सीमावर्ती जिलों से लेकर आज
के बांग्लादेश के पश्चिमी जिलों तक सन्यासियों ने इस्ट इंडिया कंपनी और उनके
समर्थक जमींदारों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूके रखा... स्थानीय जमींदारों की
लूट-खसोट और आतंक से लोगों में दहशत थी... वारेन हेस्टिंग्स की हाउस आफ लार्ड्स
में हो रही इम्पीचमेंट के दौरान लोगों की प्रताड़ना के संबंध में बताते हुए एडमंड
बुर्के बेहोश हो गए थे... लोगों की इस तकलीफ की पृष्ठभूमि में ही सन्यासियों ने
विद्रोह किया था...विद्रोह के निशाने पर मुसलमान जमींदार भी रहे नतीजतन इंडिया के
हुक्मरान इसे आजादी की पहली लड़ाई का सम्मान देने को तैयार नहीं हैं। </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">चीन, यूरोप और अमेरिका में गौ-मांस बड़ी मात्रा में खाया
जाता है... वहां इस मांस के स्वाद की व्याख्या वेजिटारियन मूवमेंट वालों को
चिढ़ाने के लिए उतना नहीं किया जाता जितना कि गौ-मांस मीमांसा इंडिया के वाम, सोशलिस्ट
और मध्यमार्गी कांग्रेस के मिजाज वाले लोग करते हैं... बहुसंख्यक मानते हैं कि इसका
सीधा मकसद मुसलमानों को खुश करना और हिन्दुओं को चिढ़ाना, सिहाना और अपमानित करना
होता है। </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">गौ-मांस के लिए लार टपकाने वाले वाममार्गी जानते हैं कि
सनातन धर्म के लोग गौ को पूजते हैं... हकीकत है कि वेद के ब्रम्ह भाव में ही गाय
अहिंसा की प्रतिमूर्ति बन चुकी थी... लेकिन वाममार्गी इतिहास की सरकारी किताबों
में लिखते हैं--- लोग गौ-मांस तो अवश्य खाते थे, किन्तु सूअर का मांस अधिक नहीं
खाते थे---... इस अंश से ही कांग्रेस ब्रांड सेक्यूलरिज्म के वोट बैंक मंसूबों को
आसानी से समझा जा सकता है... यही कारण है कि कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनते ही
कांग्रेसी सिद्धारमैया गौ-हत्या पर राज्य में लगा प्रतिबंध हटा लेते हैं... बतौर
सीएम ये उनका पहला निर्णय होता है... हिन्दू क्लेश में रहता है कि वो गौ-भक्षण
नहीं करेगा तो ये तबका उसे प्रगतिशील नहीं मानेगा।</span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संविधान बड़ा आसरा है इस देश के लिए... सार्वजनिन हित के
लिए... संबल की खोज बहुसंख्यकों को हो तो हैरानी कैसी... पर ये तबका उस वक्त हैरान
होता है जब प्रगतिशील और वाममार्गी इतिहासकार सरकारी इतिहास की किताबों में इन्द्र
को ऐतिहासिक मानते हुए सिंधु सभ्यता को नष्ट करने वाला मान बैठते हैं... उनके लिए
राम और कृष्ण काल्पनिक हैं पर कृष्ण के भाई इन्द्र ऐतिहासिक हो जाते... आपको
भूलभुलैया में घुमाने के बदले सीधे बता दें कि इसका मकसद आर्यों को विदेशी
आक्रांता साबित करना है... मुसलमानों की तरह... चलिए आर्य बाहरी हुए और मुसलमान भी
... इसका मतलब ये तो नहीं कि कश्मीर के पंडितों की एथनिक क्लिनजिंग पर राजनेता,
बुद्धिजीवी और मीडिया स्तब्धकारी चुप्पी साध ले। </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">इस देश के अधिकांश कर्ता-धर्ता यहूदियों के दुख पर विलाप
करते हुए हिटलर को कोसते रहते हैं पर कश्मीरी पंडितों की पीड़ा पर उन्हें सांप
सूंघ जाता है। आरएसएस के सदस्यों पर आतंक के आरोप के नाम पर हिन्दुओं को लपेटने से
इन्हें गुरेज नहीं रह जाता... यहां तक कि इंडिया के झंडे के केसरिया रंग का खयाल न
रखते हुए सैफ्रन टेररिज्म जैसे जुमले इस्तेमाल करता है ये वर्ग... हिन्दुओं को इस
बात की तकलीफ रहती है कि उनकी धार्मिकता से जुड़ा रंग है सैफ्रन... दिलचस्प है कि इसकी
खेती का केन्द्र है कश्मीर। </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">आप सोच रहे होंगे कि यहां पर मसलों की फेहरिस्त लम्बी क्यों
होती जा रही? चलिए बस करते हैं ... मूल पाठ यही है कि हिन्दुओं के पास तमाम विकल्प
मौजूद हैं जिस रास्ते वे मुसलमानों के साथ वर्केबल संबंध रखते हैं... पर ६५ साल के
जवान देश बताने की सनक रखने वाले पैरोकारों का पुरातन सभ्यता से अपमानजनक वर्ताव
अखरता है हिन्दुओं को... कांग्रेस ब्रांड सेक्यूलरिज्म की छतरी के नीचे इन कोशिशों
का वीभत्स रूप सामने आ चुका है... मुसलमान अब दंगों के दाग वाले परसेप्शन से मुक्त
कर दिए गए हैं और हिन्दुओं का मानना है कि इस दाग को बहुसंख्यकों पर थोपा जा रहा
है...ये बताने की जरूरत नहीं कि ऐसा करने के पीछे कांग्रेस की अगुवाई वाले जमात का
क्या मकसद होगा? पर क्या कोई देश बहुसंख्यकों पर दंगों के दाग के बावजूद प्रगति की
राह पकड़ने का ख्वाब देख सकता है?</span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<br />
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">जारी है----- <o:p></o:p></span></div>
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-43754835533352072182014-10-18T01:46:00.001-07:002014-10-18T01:46:30.343-07:00मुसलिम अटीट्यूड – परसेप्शन एंड रिएलिटी---- भाग-४ <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मुसलिम अटीट्यूड –
परसेप्शन एंड रिएलिटी---- भाग-४ </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">-----------------<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संजय मिश्र</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">----------- <o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">१३-१०-२०१२...बिहार
के दरभंगा नगर के पोलो ग्राउंड में करीब २० हजार लोग जमा हुए... वे काफी रोष में
थे... ... यूएसए गो टू हेल, ओबामा अब बस करो.. जैसे नारे फिजा में गूंज रहे थे...
ये लोग अमेरिका में बनी फिल्म इनोसेंस आफ मुस्लिम्स का विरोध कर रहे थे... वे इस
बात से आहत थे कि फिल्म में इस्लाम के प्रतीकों से खिलवाड़ किया गया है... अंजुमन
कारवां ए मिल्लत की अगुवाई में हुई इस सभा के बाद लौटती भीड़ ने डीएम कार्यालय के
दरवाजे के पास तोड़-फोड़ कर दी। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">खबर ये है कि
०४-१०-२०१२ को जब इस विरोध मार्च का निर्णय हो रहा था तो मुसलमान समाज के बड़े
बुजुर्ग सौ लोगों के साथ प्रतिवाद मार्च निकालने के पक्ष में थे... जबकि युवा
मुसलमानों के पक्षधर इसके लिए तैयार नहीं हुए... पत्रकारों के सामने ही समाज के दो
खेमों के बीच तल्खी साफ नजर आ रही थी... आखिरकार डेढ़ सौ लोगों के साथ पैदल मार्च
की योजना बनी... बुजुर्ग मुसलमान लगातार याद दिलाते रहे कि फिल्म का इंडिया से
लेना-देना नहीं है लिहाजा देश के हुक्मरानों के खिलाफ नारेबाजी नहीं हो...लेकिन जब
सभा हुई तो २०००० प्रदर्शनकारियों को संभालने में पुलिस के पसीने छूटते रहे। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">अब जरा रूख मुंबई का
करें ...११-०८-२०१२ को बर्मा की घटनाओं के विरोध में मुंबई के आजाद मैदान में
पुलिस बंदोवस्त अचानक उमड़ आई बेकाबू भीड़ के लिए नाकाफी साबित हुआ... भीड़ ने कई महिला
पुलिसकर्मियों को घेर लिया और उससे छेड़खानी हुई... कपड़े नोचे गए ... पास खड़े
मीडिया के ओवी वैन जला दिए गए... शहीद स्तंभ को तोड़ दिया गया...ये दृष्य देश के
लोगों ने देखे... २५-०७-२०१४ को सहारनपुर दंगों के दौरान भी अचानक आ गई भीड़ की
संख्या सबों को चौंकाती रही... ऐसी घटनाएं देश के कई हिस्सों में जब-तब घट रही
हैं। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">इसमें एक पैटर्न
है... उधम मचाने वाली भीड़ में अनुमान से बहुत अधिक तादाद में लोगों का जुटान...
मुस्लिम समाज के समझदार तबके का सीमा तोड़ने वाले इन युवा मुसलमानों पर नियंत्रण
नहीं... देश और विदेश की घटनाओं पर इन युवकों का अतिवादी, तंग और जुनून से भरा
रवैया.... ये पैटर्न इंडिया के मुसलमानों की मेनस्ट्रीम सोच से जुदा हकीकत पेश
करता है...इसमें बहुत ही कम तत्व माइनोरिटिज्म के खोजे जा सकते... </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">इस्लामिक दुनिया की
उथल-पुथल... उन जगहों से अलग अलग मकसदों से आर्थिक मदद के नाम पर आ रहे पैसे, सोशल
मीडिया का बेलगाम स्वभाव जैसा मंच और हेट मोदी अभियान का असर भी है उनपर... मोदी
विरोध का मकसद भले वोट से जुड़ा हो... पर ये भटका हुआ तबका २४ इंटू ७ मोदी विरोध
से इतना उद्वेलित हो जाता है कि वो गुजरात की घटनाओं को हिन्दू बैकलैस ही मान कर
चलता है... उपर से गैर-बीजेपी दलों की मुसलमानपरस्ती उन्हें हौसला देती रहती है...बाबरी
डेमोलिशन उन्हें लगातार याद दिलाया जा रहा है। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">उन्हें पता है कि
मौजूद राजनीतिक जमात में नैतिक साहस का घोर अभाव है। उसे पता है कि उसके गुनाहों
के मामले वापस लिए जाएंगे... उसे इल्म है कि कई राज्य सरकारें सुरक्षित शरणस्थली देने
के लिए बेकरार है... यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना और बंगाल के माहौल उन्हें
आश्वस्त करते हैं...ममता बनर्जी की पार्टी के लोगों का जो स्नेह इन तत्वों को मिला
है उस पर कौन इतराना नहीं चाहेगा... वहां तो अरसा से उन्हें सहूलियत रही है... वाम सरकारों के समय से फर्जी काम के लिए असली दस्तावेज
बनाने में सरकारी सहयोग मिलते रहे हैं। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">जिन्हें फिक्रमंद
होना चाहिए वे हकीकत को बेपर्दा करने की जगह दबाते हैं ...ताजा उदाहरण कश्मीर का
है जहां आइएसआइएस के झंडे लहराए गए हैं... मीडिया मौन है...खबर को दबा रहा है...
राजनेता इसकी मुखालफत करने से डर रहे हैं...यकीनन भटके हुए तत्व की सोच में
तब्दीली में उनकी रूचि नहीं है... यही हाल दक्षिणपंथी राजनीतिक तबके का है जो
मुसलमान युवकों के मानस की व्यग्रता को रेखांकित तो करते हैं पर मुसलिम समाज के
धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक नेतृत्व से इस व्याकुलता को शांत करने की अपील नहीं
करते... हस्तक्षेप करने के लिए उत्साहित नहीं करते.... हाथ मजबूत नहीं करते...उनसे
संवाद नहीं करते। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मुसलिम समाज में
आंतरिक संवाद को गति देने पर किसी का ध्यान नहीं है... यहां तक कि युवा मुसलमानों
के भटकाव को इमानदारी से कुबूल करने का साहस नहीं दिखा रहा ये देश... क्या वाकई
इंडिया के लोग हिन्दू-मुसलिम डिवाईड से चिंतित हैं? या फिर जो कोलाहल दिखता रहता
है वो महज सियासी चाल है? </span><o:p></o:p></div>
<br />
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">जारी है.......... </span><o:p></o:p></div>
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-42565781684679264422014-10-16T10:11:00.002-07:002014-10-16T10:11:31.113-07:00मुसलिम अटीट्यूड – परसेप्शन एंड रिएलिटी---- भाग-३<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मुसलिम अटीट्यूड –
परसेप्शन एंड रिएलिटी---- भाग-३ <o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">-----------------</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संजय मिश्र<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">----------- </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">इंडिया के करीब सौ
मुसलमान युवकों के फरार होने की खबर सार्वजनिक हुई तो देश के समझदार तबकों में
सनसनी फैल गई... दबे स्वर में उन्होंने चिंता जताई... खबर खुफिया स्रोतों की तरफ
से आई थी... आशंका है कि ये युवक इराक और सीरिया में आईएसआईएस के चंगुल में हैं...
जिहाद करने निकले हैं... और इसलाम के नाम पर आहूति देने गए हैं। इधर इन युवकों के
परिजनों का हाल बेहाल है... वे मदद की गुहार लगा रहे हैं। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">ये मुसलमानों के
पश्चिम की तरफ ताकने का पीड़ा देने वाला पहलू है... मक्का-मदीना पश्चिम में है सो
स्वाभाविक चार्म है उस दिशा का... ये चार्म पश्चिम के विकसित देशों के लिए रूझान
से अलग है... ये धार्मिक है... इसका प्रकटीकरण बीसवीं सदी के शुरूआत से ही इंडिया
के राजनीतिक-सामाजिक विमर्श में असहजता घोलने का पोटेंशियल रखता आया है। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">ओटोमन अम्पायर
(तुर्क) में ब्रिटिश मनमानी के मुद्दे पर इंडिया में १९१९-२२ में जो खिलाफत आंदोलन
चला उसमें तुर्की के सुल्तान के धार्मिक अधिकारों के सवाल भी शामिल थे.... इंडिया
के मुसलमानों के इस हलचल को लेकर गांधी विशेष आग्रही हुए ... उन्होंने इसे अवसर के
रूप में देखा और खुल कर समर्थन दिया... इस देश के आज के लोग जो दिन-रात
सेक्यूलरिज्म की बात सुनते हैं... उन्हें ये अटपटा जरूर लग सकता है। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">पाकिस्तान भी पश्चिम
में है... और इसकी बुनियाद भी इसलाम के आसरे पड़ी ... जिन्ना और इकबाल ने जिस
पाकिस्तान का तान छेड़ा वो इस सबकंटिनेंट को पार्टिशन की तरफ धकेलने में सफल हुआ...
जिस मुसलमान आबादी ने इंडिया में ही बसर करने का मन बनाया.. उसके लिए न तो पश्चिम
के धार्मिक प्रतीकों का मोह कम हुआ और न ही नए बने पाकिस्तान के लिए आसक्ति... साल
१९७१ के युद्ध और पाकिस्तान के टूटने का गहरा असर पड़ा उनपर। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">वे इस बात पर एकमत हुए
कि पाकिस्तान में बसने के किसी सपने से ज्यादा मुफीद इंडिया में रहना ही है...
इससे भी बड़ा सबक था बांग्लादेश का आकार लेना... इसने जता दिया था कि भाषा(यहां
बांग्ला पढ़े) की ललक धर्म के आकर्षण से पार पा सकता है... टू-नेशन थ्योरी ध्वस्त
हो चुकी थी... बांग्लादेश में फंसे बिहारी मुसलमानों को लेने से पाकिस्तान के
इनकार ने रही सही कसर पूरी कर दी... पाकिस्तान रूपी पश्चिम का मोह मोटा-मोटी अब
वहां रहने वाले उनके संबंधियों और सांस्कृतिक आह्लादों तक सिमट कर रह गई। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">इधर एक नया तबका
उभरा है इस देश में जो मुसलमानों के पश्चिम प्रेम को भड़काने के नाम पर सशक्त हुआ
है... इसका आधार मुसलमान के मानस का दोहन करना है... वे कांग्रेस ब्रांड
सेक्यूलरिज्म के फोकल प्वाइंट यानि मुसलमानपरस्ती की खातिर ऐसा करते हैं... इसके
दर्शन हाल में इस देश को खूब हुए हैं... मसलन इराक में आईएसआईएस की बर्बरता, बोको
हरम से जुड़ी अमानुषिक हरकतों पर तो चुप्पी साध जाता है ये तबका पर गजा पट्टी के
हमास के लिए इंडिया की सड़कों को उद्वेलित करने से नहीं चूकता... पश्चिम भाव के
दोहन और जायज नजरियों के बीच से गुजरते हुए इंडिया के मुसलमानों का बड़ा तबका अपने
नए पीएम की उत्साह बढ़ाने वाली उस स्वीकारोक्ति को परखने में लगा है जिसमें कहा
गया है कि इंडिया के मुसलमान देशभक्त हैं और अलकायदा जैसे संगठनों के मंसूबों को
सफल नहीं होने देंगे। </span><o:p></o:p></div>
<br />
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-64350968369185781562014-10-07T21:07:00.001-07:002014-10-07T21:07:20.883-07:00मुसलिम अटीट्यूड – परसेप्शन एंड रिएलिटी---- भाग-२ <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मुसलिम अटीट्यूड –
परसेप्शन एंड रिएलिटी---- भाग-२ <o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">-----------------</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संजय मिश्र<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">----------- </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">इंडिया में भूख से मरने की खबर अक्सर आती रहती है.. पत्रकार
इसे जतन से आपके पास पहुंचाते हैं... इस कोशिश में वे अफसरों की नाराजगी मोल लेते
हैं... उनसे पूछिए या फिर अखबारों के पन्ने पलटिए... आप पाएंगे कि मरने वालों में
मुसलमान नहीं के बराबर होते... कह सकते कि मुसलमान कर्मठ होते साथ ही हूनर वाले
पेशे अपनाने के कारण भुखमरी टाल जाते... दिलचस्प है कि इसी देश के हुक्मरान कहते
फिरते हैं कि मुसलमानों की माली हालत दलितों से भी खराब है।<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">वे सच्चर कमिटी की रिपोर्ट का हवाला देते हैं ... तो क्या
ये रिपोर्ट डाक्टर्ड है? राजनीति करने में सहूलियत का इसमें ध्यान रखा गया है? रोचक
है कि इस रिपोर्ट की महिमा का बखान कांग्रेस ब्रांड सेक्यूलरिस्ट सिद्दत से
करते... सार्वजनिक मंचों पर इसको लेकर आंसू बहाए जाते... केन्द्र की सत्ताधारी दल
बीजेपी को भी ये रिपोर्ट खूब सुहाती है... कांग्रेस की दशकों की उपलब्धि को भोथरा
साबित करने में उन्हें ये हथियार नजर आता। </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">इस डिस्कोर्स में शामिल होने वाले मुसलमान करीने से
हुक्मरानों से हिसाब मांगते हैं... इस अल्पसंख्यक समाज की हैसियत बढ़ाने वाले कदम
उठाने की चुनौती देते...मुसलमानों की बदहाली के कई कारण होंगे... पर आप ध्यान
देंगे तो विशेष राजकीय सहयोग पाने की उनकी अर्जुन दृष्टि आपको नजर आ जाएगी..
मौजूदा समय में संघ परिवार के नेताओं के गैर-जरूरी बोल के बीच भी मुसलमानों की नजर
बीजेपी के उस विजन डाक्यूमेंट पर टिकी है जो मुसलमानों के हितों के लिए तैयार हुए
हैं। </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संभव है पूर्व आम आदमी पार्टी नेत्री शाजिया इल्मी का बयान
याद आया होगा आपको... साल २०१४ के लोकसभा चुनाव के समय दिए गए उस बयान को विवादित
करार दिया गया... शाजिया ने गुहार लगाई थी कि मुसलमान बहुत सेक्यूलर हो लिए... अब
उन्हें अपने हितों की ओर देखना चाहिए... इसमें अनकही बात ये थी कि मुसलमान आम आदमी
पार्टी पर भरोसा दिखाएं तो उनके हितों का विशेष खयाल रखा जाएगा। </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">इंडिया के राजनीतिक सफर में डुबकी लगाएं तो इस तरह के फिकर
की बानगी आपको बिहार में जगन्नाथ मिश्र के राजकाज के दौरान दिखेगी...सहरसा के रहने
वाले पंडित सीएम मुहम्मद जगन्नाथ तक कहलाए... मुसलमानों के आर्थिक और सांस्कृतिक
उम्मीदों पर वे खासे मेहरबान हुए। पर साल २००० का विधानसभा चुनाव... झंझारपुर
क्षेत्र से जगन्नाथ मिश्र के बेटे नीतीश मिश्र उम्मीदवार थे... पिता ने मुसलमानों
से बेटे को जिताने की गुहार लगाई पर नाकामी हाथ लगी.. नीतीश मिश्र हार गए.. ये
लालू का दौर था। </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मुसलमानों को लालू से खूब स्नेह मिल रहा था... पटना से लेकर
ब्लाक तक में मुसलमानों की अपेक्षाओं का खयाल रखा जा रहा था... यूपी में मुलायम को
मुल्ला मुलायम ऐसे ही नहीं कहा गया... उन पर मुसलमानों की सदिच्छा और मुसलमानों पर
सपा का प्रेम जगजाहिर है... मायावती तक की विशेष कृपा बनी रही है मुसलमानों पर। </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">यानि नेहरू के समय से आर्थिक और इमोशनल सहयोग का जो सिलसिला
चला वो किसी न किसी रूप में जारी है... यानि जहां सहूलियत उधर झुकाव... गैर-बीजेपी
खेमों की बेचैनी मुसलमानों की उसी तरल सोच की उपज तो नहीं? क्या ये विकलता स्मार्ट
वोटर कौम को अपने पाले में बनाए रखने की है? आखिर संकट किस बात का है? ये मुसलमान
का संकट है... या कांग्रेस ब्रांड सेक्यूलरिज्म का... सनातनियों का या फिर ६५ साला
इंडिया का संकट है? </span><span style="font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-language: HI;"><o:p></o:p></span></div>
<br />
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12.0pt; line-height: 115%; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">जारी है........... <o:p></o:p></span></div>
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-38819647343712406102014-10-06T08:44:00.001-07:002014-10-06T08:49:14.709-07:00मुसलिम अटीट्यूड – परसेप्शन एंड रिएलिटी---- भाग-१<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मुसलिम अटीट्यूड –
परसेप्शन एंड रिएलिटी---- भाग-१ <o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">-----------------</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संजय मिश्र<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">----------- </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">इंडिया का राजनीतिक
और सामाजिक विमर्श यही मान कर चल रहा है कि आबादी के बड़े हिस्से ने जीने का सलीका
तो बदला है लेकिन मुसलमान औरंगजेब और ब्राम्हण मनु के दौर में बने हुए हैं...
हकीकत इससे अलग है ... जाहिर है समरसता की चाहत के बावजूद सार्वजनिक डिस्कोर्स हांफ
रहा है...पहरुए न तो ब्राम्हण के मानस में आए बदलाव को स्वीकार कर रहे और न ही
मुसलमानों के मिजाज की दस्तक सुनना चाहते। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span>
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">ब्राम्हण की कथा फिर
कभी... फिलहाल मुसलमानों के रूख में परिवर्तन को पहचानने की कोशिश करें... ... इस
देश की आम समझ है कि दो बड़े कौम की सहभागिता का पहला आधुनिक पड़ाव साल १८५७ ने
देखा... अंग्रेजों से छुटकारा पाने की अकुलाहट के छिट-पुट दर्शन इससे पहले भी
हुए...लेकिन १८५७ में ये व्यापक आयाम के साथ उभरा... फिर भी बहादुरशाह जफर की
कामना हिन्दू प्रजा के सहयोग... हिन्दू जमींदारों के सहयोग से मुगल सल्तनत की
वापसी पर टिकी रही ... बेशक अंग्रेजों को परास्त करना पहली जरूरत थी।<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span>
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">आपसी सहयोग की मिसाल
कायम हुई पर ये प्रयास विफल रहे... असफलता ने मुसलमानों को तोड़ दिया... शासक वर्ग
होने के दिन लद चुके थे... जख्म थोड़े भरे तो अंग्रेजों से दोस्ताना रिश्ते पर
उन्होंने गौर फरमाया...सर सैयद अहमद के समय में इस दोस्ताना रिश्ते के साथ आधुनिक
शिक्षा का सूरज उगा... इस समझ को काफी बाद झटका लगा जब बंग-भंग आंदोलन के समय वे
राष्ट्रीय चेतना और अंग्रेजों की सहृदयता के बीच जूझते रहे। </span><o:p></o:p></div>
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<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span>
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">किस्मत बदलने की
तमन्ना हावी हुई... खिलाफत आंदोलन में गांधी के सहयोग के बावजूद पश्चिम की तरफ
ताकने और प्रोपोर्सनल रिप्रजेंटेशन की दिशा की तरफ वे बढ़ चले .... आजादी के
आंदोलन की तीव्रता ने उन्हें अहसास करा दिया कि लोकतंत्र आएगा और उन्हें प्रजा
वाला मिजाज विकसित करना पड़ेगा... मन की हलचल के बीच अलग देश के तत्व हावी हो
गए... देश का बटवारा हो गया... मुसलमानों के लिए अलग देश बन गया। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span>
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">जो भारत में रह गए
उनके सामने धर्मसंकट था... आजादी की बेला क्रूरता की हदें पार करने का गवाह बनी
थी... भीषण दंगों से हिन्दुओं के मन पर पड़ने वाले असर से भी वे वाकिफ थे...हिन्दू
राष्ट्र की तमन्ना के स्वर भी उन्हें सुनाई दे रहे थे...फिर भी नेहरू ने उन्हें
भरोसा दिया...अब वे जनता बन चुके थे... चुनावी राजनीति में बहुसंख्यकों के वर्चस्व
की धारणा के बोझ को वे उतारने लगे...फ्री इंडिया में उनके मनोभावों को एक आसान से
उदाहरण से बखूबी समझा जा सकता है। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span style="font-family: Mangal;">फिल्म की दुनिया में
दिलीप कुमार को हिन्दू नाम के सहारे खूब सफलता मिली... अपने नाम से सफल होने में
उस समय के मुसलमान कलाकारों को हिचक थी... ये दौर बीता... तब फिरोज खान और संजय खान का समय आया... ये
मुसलमानों के आत्मविश्वास का संकेत कर रहा था... अपनी पहचान से ही उन्होंने सफलता
के झंडे गाड़े...आज शाहरूख, आमीर और सलमान आत्मविश्वास के साथ आक्रामकता की नुमाइश
कर रहे हैं।</span><br />
<o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span>
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">शासक से जनता बनने
के मुसलमानों के इस सफर में न तो औरंगजेब की महिमा है और न ही दबे-कुचले होने का
दंश ...मुफलिसी से उबरते रहने की आकांक्षा इन भावों पर भारी है। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
</div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">जारी है............ <o:p></o:p></span></div>
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-55050531453837205902014-10-05T08:53:00.001-07:002014-10-05T08:53:06.727-07:00क्लीन इंडिया ड्राइव में राजनीति भी है मिस्टर प्राइम मिनिस्टर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">क्लीन इंडिया ड्राइव में राजनीति भी है मिस्टर प्राइम मिनिस्टर</span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">--------------------------------------------------------------------</span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">संजय मिश्र</span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">---------------- </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">हाल के समय में कई कांग्रेसी नेता अलग अलग मौकों पर इंडियन पीएम की प्रशंसा करते देखे गए हैं... १५ अगस्त के मौके पर अपने संबोधन में जब पिछली केन्द्र सरकारों के अच्छे काम को मोदी ने स्वीकार करने वाली बात कही तो माना गया कि ये कोई रणनीतिक मूव हो सकती है... लेकिन २ अक्टूबर को स्वच्छ भारत अभियान के शुरूआत के मौके पर उन्होंने विस्तार से उसे दुहराया... कांग्रेस का नाम तक लिया... कहा कि ये नेक अभियान है लिहाजा इसमें राजनीति न हो... मोदी समर्थकों के अलावा आम जनों को भी अनुमान था कि कांग्रेसी नेता मोदी के इस रूख का स्वागत करेंगे और उल्टी नहीं करेंगे... शाम होते होते कांग्रेसियों की खीझ छुपाए नहीं छुप रही थी...हे इंडिया के लोग... ये अभियान जरूर सुहाने वाला है... थाने में जाकर नरेन्द्र मोदी का मन लगाकर सफाई करना कैच विजुअल आफ द डे बना... पर कांग्रेस को आज के दिन भला-बुरा न कहें... मोदी ने उनके साथ राजनीति की है... लोकसभा चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने कांग्रेस से सरदार पटेल को छीन लिया... और अब उनसे गांधी की विरासत को छीन लेने की जुगत में लग गए हैं... मोदी के काम करने का तरीका ही ऐसा है कि वो दिखने लायक नतीजे दे ही देते हैं... इस अभियान को भी वो संतोष लायक मुकाम तक पहुंचा ही देंगे...फिर क्या बचेगा कांग्रेस के लिए? दलितों के बीच मोदी का संदेश जाएगा सो अलग... ये अकारण नहीं कि कांग्रेस की प्रतिक्रिया बार-बार गांधी के मुस्लिम प्रेम वाले विचारों की ओर घूम रही थी...</span></div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-43372307574947151012014-10-05T08:46:00.000-07:002014-10-05T08:46:35.349-07:00गुहा...भागवत और डीडी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">गुहा...भागवत और डीडी</span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">-------------------------- </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">संजय मिश्र </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">-------------------- </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">उम्मीद नहीं थी कि इतिहासकार राम चन्द्र गुहा आरएसएस की खिलाफत के लिए इतना कमजोर दांव खेलेंगे.... उन्हें दूरदर्शन पर मोहन भागवत के भाषण दिखाने पर आपत्ति है... वो कहते कि आरएसएस कम्यूनल है... लगे हाथ मोहन भागवत की तुलना इमामों और पादरियों से कर बैठे.... तो क्या वे कहना चाहते कि इस देश के इमाम और पादरी कम्यूनल होते हैं...?</span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;"><br /></span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">साल १९८७... डीडी पर रामानंद सागर की रामायण सीरियल प्रसारित हुई थी... प्रबुद्ध लोगों को हैरानी तो हुई पर उसे देखने की होड़ सी मच गई... उधर वामपंथियों ने देश भर में इस प्रसारण की खिलाफत की थी...तल्ख विरोध चाणक्य सीरियल के प्रसारण पर भी किया इन्होंने .. साल भर पहले ही शाहबानो प्रकरण हुआ था.. सहम कर विरोध जता पाए थे वे ... रामायण सीरियल ने मौका दिया और पिल पड़े डीडी पर...उस दौर में टीवी चैनलों के नाम पर डीडी ही सब कुछ था...लिहाजा विरोध के लिए वजहें थी... </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">अब जबकि निजी चैनलों की बाढ़ है और गला-काट प्रतिस्पर्धा है... डीडी के लिए प्रतिस्पर्धा में बने रहना मुश्किल हुआ जा रहा है... ऐसे में डीडी का इस पैमाने पर विरोध उसे बांध कर नहीं रख देगा? ... दूरदर्शन के लिए दोहरी आफत है... सरकारें नहीं चाहती कि ये संस्था प्रोफेशनल तरीके से काम करे... और अब विरोधी दलों के अलावा इतिहासकार, मीडिया पंडित और बुद्धिजीवी यही मंशा दिखा रहे...</span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.3199996948242px;">चलिए इन विरोधियों की बात मान ली जाए... और फिर याद किया जाए मोहन भागवत का हिन्दू थ्योरी वाला भाषण ... निजी चैनलों ने इसकी आलोचना को प्रमुखता से दिखाया.... क्या डीडी के दर्शकों को इस तरह के डिस्कोर्स को देखने का हक नहीं देना चाहते ये विरोधी... क्या डीडी के दर्शकों को इसके लिए निजी चैनलों की ओर रूख करने के लिए मजबूर करना चाहते वे.... फर्ज करिए भागवत का वो भाषण डीडी का एक्सेक्लूसिव होता तो क्या विरोध करने वाले मोहन भागवत के उस भाषण पर कोई बवाल नहीं करते... क्या तब वो खबर नहीं होती? ... क्या मान लिया जाए कि विरोध करने वाले आगे से डीडी की स्वायतता की चर्चा नहीं करेंगे...और न ही प्रोफेशनल होने के लिए कहेंगे ? रामचन्द्र गुहा को याद रखना चाहिए कि उन जैसों की वजह से ही मोहन भागवत पहले भी खबर थे और आगे भी बने रहेंगे...</span></div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-24880812788547500482014-08-12T21:57:00.003-07:002014-08-12T21:57:41.931-07:00मोहन भागवत का बयान एसिमिलेशन की चाहत तो नहीं? <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
मोहन भागवत का बयान एसिमिलेशन की चाहत तो नहीं?<br />
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संजय मिश्र<br />
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उन लोगों को भी भारत, भारतीय और भारतीयता शब्द की याद सताने लगी है जो इंडिया और इंडियन शब्द से बांए-दांए होना कबूल नहीं करते ... मोहन भागवत ने हिन्दू शब्द की आरएसएस वाली व्याख्या को महज दुहरा दिया है...ये अहम नहीं कि इन बातों को वे पहले कहते थे तो काना-फूसी भी नहीं होती थी... अभी इस शब्द पर विमर्श चल पड़ा है... संविधान याद आने लगा है इंडिया शब्द के पैरोकारों को... ऐसा लगता है अब वे भारतीय शब्द को रियायत देने के मूड में हैं... ये रियायत टैक्टिकल मूव हो सकता है पर आप इस बदलाव को अच्छा मान लें तो ऐतराज नहीं....<br />
<br />
जो ६५ साल के युवा इंडिया में यकीन करते .. और मानते कि इसका पांच हजार साल के भारत से डिस्कनेक्ट है... उनमें ये बदलाव दिख रहा है... पेंच हिन्दू शब्द के सोर्स में छिपा है... हिन्दू शब्द मुसलिम संस्कृति के मूल पश्चिमी गढ़ से आया है... और वहां इसे कलेक्टिव नाउन के रूप में ही लिया जाता रहा है...भारतीय शब्द को रियायत देने वाले हिन्दुस्तान या हिन्दू के पक्ष में नहीं जाना चाहते...पर यहां भी दिक्कत है उन्हें... असल में हिन्दुस्तान और हिन्दू शब्द के इस्तेमाल का रिवाज मुसलमानों में ही अधिक है... क्या इंडिया के पैरोकारों के चाहने से इंडिया के मुसलमान हिन्दुस्तान और हिन्दू शब्द का इस्तेमाल छोड़ देंगे?<br />
<br />
ये हैरानी की बात है कि मोहन भागवत के इस प्रसंग के मकसद पर विमर्श बड़ा ही ढ़ीला-ढाला है... वे जोर लगा कर इसी नतीजे पर पहुंचते हैं कि ये सेफ्रोनाइजेशन का आग्रह है... दरअसल आरएसएस की नजर उस ऐतिहासिक बहाव को रास्ता देना लगता है जिसके कारण विदेश से आने वाले हर आक्रांता इस देश की संस्कृति में रच-बस जाया करते थे... मुसलमान का एसिमिलेशन अधूरा और छिटपुट ही रह गया...आरएसएस इसी अधूरेपन को पूर्णता देना चाहता है... वो भी महज एक शब्द- हिन्दू- के जरिए... वो मुसलमानों की धार्मिक पहचान को नहीं छेड़ने की बात भी करता है ...<br />
<br />
ये विकलता है... कि मुसलमान बस हिन्दू शब्द से विशेषित हो जाएं ...यानि कि जो हिन्दू शब्द जीवन शैली है ... उसे अपना कह दें... अपनी विशिष्ट धार्मिक पहचान बनाए रखते हुए... आरएसएस वाले कह सकते हैं कि ये आसान.. पर व्यापक रास्ता है इस देश को आगे ले जाने का .. वो मानता रहा है कि मुगलों और राजपूतों के बीच शादी-ब्याह के रिश्ते एकांगी रहे जिस कारण एसिमिलेशन का काम पूरा नहीं हो पाया...<br />
<br />
राजपूत की बेटी और मुगल के बेटे का रिश्ता होता रहा... मुगल की बेटी और राजपूतों के बेटे के बीच रिश्ते नहीं हुए... ये टू-वे ट्रैफिक की तरह होते तो दारा शिकोह वाले दूसरे मौके की जरूरत नहीं पड़ती... दारा शिकोह सत्ता संघर्ष में खुद कमजोर पड़ गए लिहाजा एसिमिलेशन का दूसरा मौका भी हाथ से निकल गया ... कई मुसलमान समय समय पर इस बात को स्वीकार करते रहे हैं कि जब इस देश की हवा, मिट्टी, जंगल और पानी पर उनका हक है तो फिर ताज के साथ वेद, पुराण, खजुराहो भी उनकी विरासत क्यों नहीं हो सकती है?...<br />
<br />
एसिमिलेशन का अनजाने में एक रास्ता कांग्रेस का भी है... आरक्षण के जरिए मुसलमान आखिरकार समय के साथ जाति के खांचे में फिट हो जाएंगे... इसका असर गहरा होगा...पर कांग्रेस इसे सचेत कदम के रूप में नहीं ले पाएगी... इसके लिए उसे अपने नजरिए में व्यापक बदलाव जो करना पड़ेगा... फिलहाल मुसलमानों के आरक्षण के सहारे कांग्रेस की रूचि सत्ता पाने की आकुलता तक सिमटी हुई है...<br />
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-30072306286502760992014-08-12T09:38:00.002-07:002014-08-12T09:38:28.110-07:00पिछड़ों के हाथ में रहेगी कुंजी..<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">पिछड़ों के हाथ में रहेगी कुंजी...</span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">----------------------------------</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">संजय मिश्र
</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">---------------- </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">खबर ये नहीं है कि नीतीश की पुकार को सुनकर लालू प्रसाद गले मिल गए... खबर ये है कि ११ अगस्त को जहां वे मिले वहां लोगों का जुटान नहीं हुआ... खबरनवीसों के लिए हाजीपुर उपचुनाव के सभामंच की वो तस्वीरें भले ऐतिहासिक फोटो की तरह सहेज कर रखने वाली चीज बन गई हों... पर बिहार की राजनीति में इस गठबंधन की राह उस सभामंच के नीचे की तस्वीरें तय करेंगी... ये तस्वीरें आने वाली अड़चनों के संकेत कर रही थीं... लालू की अभी भी इतनी हैसियत है कि वो बिहार के किसी कोने में सभा करने जाएं तो बीस-पच्चीस हजार लोग पहुंच ही जाते... नीतीश भी दस-पंद्रह हजार लोग कहीं भी जुटा लेते हैं... कायदे से हाजीपुर के उस भरत-मिलान की सभा में चालीस से पचास हजार लोग होने चाहिए थे... पर महज तीन-चार हजार की मौजूदगी चीख-चीख कर कह रही कि नेताओं के गले तो मिल गए पर उनके समर्थकों के दिल नहीं... मान लें कि लालू प्रसाद के समर्थक यहां से जेडीयू के कोटे के उम्मीदवार राजेन्द्र राय के कारण रणनीति के तौर पर कन्नी काट गए हों... तो भी मौजूद लोगों की तादाद पन्द्रह हजार होनी चाहिए थी... मतलब ये कि जेडीयू समर्थकों में इस महागठबंधन के लिए प्यार नहीं उमड़ा है... नीतीश की इस दयनीय शो का तेज दिमाग वाले लालू बेजा इस्तेमाल भी कर सकते... खबर ये भी है कि गठबंधन की राह आगे ठीक-ठाक चल पड़ी तो दो वोटर तबकों का धर्मसंकट समाप्त हुो जाएगा... जो मुसलमान २०१४ लोकसभा चुनाव के समय व्याकुल थे और अर्धचेतन मन से किसनगंज और कोसी इलाके में पोलराइज हो गए ... अब उन्हें विकल्पों के चक्कर में नहीं पड़ना पड़ेगा और वे थोक भाव से इस गठबंधन को राहत दे देंगे... इसी तरह उन सवर्णों वोटरों का धर्मसंकट भी दूर हो गया जो नीतीश की छवि के कारण लोकसभा चुनाव में तो नही पर २०१५ के विधानसभा चुनाव में नीतीश के लिए दिल में जगह रखे रहना चाहते थे... असल चुनावी जंग अब पिछड़ों के बीच छिड़ेगी... जो इनका ज्यादा हिस्सा अपने साथ ले जाएगा वो निर्णायक स्थिति में होगा...</span></div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-61285710319869645462014-07-30T11:29:00.000-07:002014-07-31T18:44:54.879-07:00नीतीश के ब्रांड बिहार का आलाप- चिंता या चाल<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">नोट—ये पोस्ट
जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के बिहार में बने गठबंधन की ३० जुलाई को हुई घोषणा से
कुछ घंटे पहले लिखी गई ... गौर करने वाली बात है कि इस प्रेस कंफरेंस में लालू और
नीतीश नहीं आए...</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">नीतीश के ब्रांड
बिहार का आलाप- चिंता या चाल<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">----------------------------------------------------<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संजय मिश्र<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">-----------<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">अभी मिलन की कामना
हिलोरें ले रही....साथ में उलझन है.... और
आगे के संबंध की दुश्चिंता.... जिसकी अतरी में ७२ दांत है और जो कि बबूल का पेड़
है, वो अब सुहाना है... संबंधों के इस उठान के बीच २५ जुलाई को लालू ने आत्मीयता
से सराबोर हो कहा कि – नीतीश अच्छे आदमी हैं। उधर लालू के राजनीतिक मन की हलचल से
बेफिक्र नीतीश कुमार को ब्रांड बिहार की चिंता सताए जा रही है।<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">उलझन उधर भी है...
वोटरों के बीच... इस बात की नहीं कि जिस नीतीश को लालू दग्ध कहते नहीं अघाते थे उस
बात को आरजेडी सुप्रीमो की समझ का फेर बताया गया ... बल्कि उधेरबुन इस बात की है
कि नीतीश सीएम नहीं हैं फिर भी ब्रांड बिहार का राग अलापे जा रहे। नीतीश कहते हैं
कि बिहार बीजेपी के लोग ब्रांड बिहार की इमेज को बरबाद कर रहे हैं। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">यही कोई ११ दिन पहले
कहा उन्होंने। आपने, हमने... हम सबने कहां ध्यान दिया नीतीश की इस गोल्डन पीड़ा
पर? अभी तक पहले वाले गोल्डेन वर्ड्स ( दिल्ली में दिए उद्गार) पर ही चिपके रहते
हम सब... याद है न वो बयान कि.... टोपी भी पहननी पड़ती है... और.... टीका भी लगाना
पड़ता है। क्या नीतीश की यूएसपी में बदलाव आ रहा है? क्या ब्रांड बिहार उनके लिए
आने वाले विधानसभा आम चुनाव का मुद्दा रहेगा जैसे कि २०१४ तक गोल्डेन वर्ड्स के
साथ विशेष दर्जा का मुद्दा रहा।</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">ये ब्रांड बिहार है
क्या जो कि भहरा रहा है? जिस छवि की अकुलाहट में नीतीश बिहार के एडिटर इन चीफ
कहलाए... उसे इस दफा...यानि १९ जुलाई को यहां के उनके अखबारी एडिटर समझने में
नाकाम क्यों रहे? न कोई सरगर्मी... न ही कोई अभियान... बुझा-बुझा सा प्रेजेंटेशन...
जैसे-तैसे पहले पन्ने पर जगह बनाई। क्या अखबारों की रूचि कम हुई या इसे राजनीतिक
चाल ही समझी गई? </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">नीतीश के ब्रांड
बिहार का सफर कथित जंगल राज के अवसान के बाद शुरू हुआ। अराजक शैली के माहौल से
आजिज बिहार के निवासियों में तब अपराधियों को चौक-चौराहों पर टांग देने की विशफुल
थिंकिंग परबान पर थीं। पर नीतीश ने अपराध नियंत्रण के संस्थागत उपाय की तरफ रूख
किया। स्पीडी ट्रायल को अहमियत मिली। इसका असर हुआ और डर का अहसास धीरे-धीरे कम
होने लगा। न्याय के साथ विकास को बढ़ावा दिया गया... कृषि केबिनेट का शानदार कंसेप्ट
आया... पूंजी निवेश की सूरत बनने लगी। ग्रोथ रेट में इजाफा हुआ। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">ये सब ब्रांड बिहार
के तत्व रहे। लेकिन नीतीश के राज-काज के दिनों में ही कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति
मुंह चिढ़ाने लगी... उनकी नजर छवि चमकाने पर जमी रही उधर फारबिसगंज की घटना,
खगड़िया में नीतीश पर जानलेवा हमले की कोशिश, मिड डे मील खाने से बच्चों की मौत सुर्खियां
बनती रही ... और ऐसी घटनाओं पर नीतीश के घमंड से भरे बयान आते रहे। विधायक फंड
चलता कर दिया गया...अफसर की मनमानी चरम पर पहुंच गई...जनप्रतिनिधि तिलमिला गए। न
पलायन रूका और न ही पूंजी निवेश में आस जगी।<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">दलित-महादलित विभाजन
ने राजनीतिक निराशा को बढ़ा दिया। ब्राड बिहार तो उस समय ही छिजने लगा था... पर
नीतीश के अखबारनवीस चीन से आगे बढ़ने की दास्तान गढ़ते रहे। फिर आया २०१४ के चुनाव
अभियान का वक्त... मेनिफेस्टो जारी हुई जेडीयू की... उसकी सबसे अहम बात थी मंडलवाद
की ओर वापसी का संदेश...... वायदा किया गया कि आरक्षण का दायरा निजी क्षेत्र में
बढ़ाया जाएगा। ये तो ब्रांड बिहार का तत्व नहीं था ... ? ... और अब तो मंडलवादी लालू
से भरत-मिलाप के क्षण करीब आ गए हैं। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">बिहार में जीतन राम
मांझी की सरकार है। राज्य की कमान जैसे-तैसे संभाला जा रहा उनसे। तिस पर
मांझी कह रहे कि २०१५ के विधानसभा चुनावों के समय दलितों के हितों को कोई दबा नहीं
पाएगा। तो क्या नीतीश कुमार ब्रांड बिहार के दरकते आलाप के जरिए महत्वाकाक्षी
मांझी को आगाह कर रहे? क्या लालू को भी संदेश दिया जा रहा है? </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">लालू से बन रहे
रिश्तों की फुटेज में चेहरों पर भीनी मुस्कान दिखेगी... लेकिन उस खनक से अलग परदे
के पीछे गठबंधन का हिसाब-किताब लगाया जा रहा है। नेता कौन बनेगा इस पर चुप्पी है?
क्या नीतीश कुमार ब्रांड बिहार के अपने पेटेंट के मार्फत जता रहे कि नेता तो छवि
वाला ही चलेगा? मजबूरी की कोख से निकले इस अवसर में नीतीश को अहसास है कि बिहार के
विशेष दर्जे के अभियान के बावजूद जेडीयू का मजबूत संगठन खड़ा करने में वो नाकाम
रहे.... लिहाजा उनकी चाहत है कि नेता उन्हें माना जाए और आरजेडी का संगठन गठबंधन
का अबलंब बने... ये आजमाया फार्मूला है नीतीश के लिए... पहले भी संगठन का आसरा
बीजेपी का था और कमान नीतीश की। ये फार्मूला हिट रहा था बिहार में। </span><o:p></o:p></div>
<br />
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-7546700696694105642014-05-23T10:46:00.002-07:002014-05-23T10:46:44.478-07:00बिहार के बहादुरशाह जफर बन गए नीतीश कुमार!<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">बिहार के बहादुरशाह
जफर बन गए नीतीश कुमार</span>!<o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">--------------------------------------------<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संजय मिश्र<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">-----------<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">लोकसभा चुनाव नतीजों
के बाद नीतीश ने जब सीएम पद छोड़ने की घोषणा की तो एकबारगी लोग चौंक गए... नौटंकी
है... हार पर मंथन नहीं करना चाहते... वगैरह, वगैरह... उस वक्त धूंध घनी थी...
कहीं से मास्टर स्ट्रोक की अनुगूंज तो किसी तरफ से रमई राम की पिटाई पर शोक के
स्वर ... तिसपर शरद यादव की बेईज्जती की कराह ...बावजूद इसके शरद ठसक से बयान देते
रहे... अचरज के बीच खबर ये है कि जेंटलमैन का तगमा पहनने वाले नीतीश कुमार ने जंगल
राज वाले लालू प्रसाद से हाथ मिला लिया है........आरजेडी ने जीतन राम मांझी की
सरकार को समर्थन दे दिया है। <o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">बुद्ध मुस्करा रहे
होंगे... शरद यादव यही कहेंगे.... वे इस बात के आग्रही रहे हैं कि जनता नामधारी
पार्टियों को एक हो जाना चाहिए... शरद इसलिए भी मुस्करा रहे होंगे कि नीतीश से
उनके रिश्ते की खटास के बीच उन्होंने वो कर दिखाया जो बिहारवासियों के लिए दो
ध्रुव के मिलने के समान है... राजनीतिक नजरिए से देखें तो ये नीतीश की घर वापसी
मतलब मंडल राजनीति की तरफ वापसी है... लेकिन बिहार की मांझी सरकार को मिला
कांग्रेसी समर्थन इसे खिचड़ी बनाती है... तो क्या नीतीश राजनीतिक रूप से इतने
कमजोर हुए कि राह बदल ली?<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">इतिहास में झांकें
तो दिल्ली की तख्त पर बैठे आखिरी मुगल शासक बहादुरशाह जफर एक समय इतने कमजोर हुए
कि उनके राज की सीमा दिल्ली से महरौली तक सिमटने की बात कही गई... सिद्धांत की
लड़ाई उन्होंने भी लड़ी थी ...१८५७ में... तब क्या हिन्दू...क्या मुसलमां... सब एक
वेवलेंथ पर आ गए थे... लेकिन क्या नीतीश उस तरह की गौरव गाथा के हकदार हैं... उनके
साथ जुड़े परसेप्सन और उनकी कार्यशैली की हकीकत की पड़ताल करेंगे तो जानेंगे कि वे
उस तरह की फसल काटने के हकदार कभी नहीं रहे। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">हर समाजवादी की तरह
नीतीश भी लोकतंत्र में विश्वास की बात करते... लोहिया का नाम लेते... लेकिन नीतीश
के आदर्श साम्राज्यवादी मौर्य शासक रहे... चंद्रगुप्त का नाम लेना उनका शगल रहा...
बड़ी ही चतुराई से वे चाणक्य भी बनते रहे...खासकर तब जब गठबंधन के खेबनहार होने की
बात पर जोर देने की बारी आती थी... अहंकारी पर डेमोक्रैटिक होने की छवि...बिहार के
एडिटर इन चीफ भी कहलाए... परसेप्सन का
कमाल देखिए... जंगल राज के बरक्स महज पटरी पर बिहार को लाने के कौशल के बूते चीन
से अधिक विकास करने की छवि पसारने में कामयाब हुए। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">वोटरों से रूठ तो
ऐसे रहे हैं कि मानो लोगों ने अपने दुलारे नेता के साथ अन्याय किया हो... रूठ कर
बदला लेने से मन नहीं भरा तो लालू से हाथ मिला कर जंगल राज की याद दिला-दिलाकर मानसिक
यातना देने की कोशिश कर रहे... जनादेश को कबूल करने में इतना कष्ट?... ... बावजूद इस बेरूखे हठ के चाहत यही कि दुनिया
डेमोक्रैटिक कहती फिरे ...दिल में झांक कर देखें कि बिहार के वोटरों ने किस
बुनियाद पर उन्हें सर पर चढ़ाया था... नीतीश ने उसे भुलाकर दिल्ली की आबोहवा के
मुताबिक चुनावी एजेंडा नहीं बदला था क्या? </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">नीतीश गमजदा हैं ...ब्लोअर
की हवा में उड़ जाने के अहसास से भींगे हुए और मर्सिया गाने को मजबूर... भले वो
कुछ भी कहें गठबंधन तोड़ने की गलती का अहसास उन्हें चुनाव से पहले ही हो गया था...
लिहाजा नतीजा उन्हें मालूम था... जिस आस में मंसूबे बांध रखे थे नीतीश ने...वो
पूरे नहीं हुए... मजे खिलाड़ी की तरह बाल नोच नहीं सकते... पर मजे खिलाड़ी की तरह
नैतिकता के नाम पर अपनी कमी को शक्ति के रूप में दिखाने की कवायद तो कर ही सकते।
और वो वही कर भी रहे। उन्हें मान लेना चाहिए कि वो उतने महान नहीं जितना वो लोगों
से मनवाना चाहते। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">वो चंद्रगुप्त जितना
महान होते तो अपना राज पटना से राजगीर तक सिमटा कर नहीं रख देते... बहुत खुश हुए
तो मगध की सीमा तक पहुंच जाते... आप सोच रहे होंगे कि ये कैसी पहेली है? ...दिल्ली
से महरौली और फिर ये पटना से राजगीर... पर ये सच है... यकीन न हो तो कुछ आंकड़े
देख लें... साल २०१२ की ही बात है... १९ जनवरी को मधुबनी के लिए करीब ४.३ अरब की
योजनाओं के शिलान्यास किए गए... नीतीश के चारण पत्रकारों ने हेडलाइन दी—मधुबनी की
भर गई झोली--- वहीं नालंदा जिले के लिए इससे भी अधिक खर्च की राज्य सरकार की
योजनाओं के अलावा इसी जिले में स्थाई महत्व की करीब ७५० अरब की योजनाओं पर काम चल
रहा है...दिल पर हाथ थाम कर नीतीश और उनके लगुए पत्रकार कहें कि नालंदा के लिए
उन्होंने कभी मधुबनी जैसी हेडलाइन दी है? </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">चलिए आंकड़ों को
समझने में दिक्कत आ रही हो तो कुछ देश स्तरीय संस्थानों के नाम ही सुन
लें.......आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, आईआईटी, एम्स, महिला विश्वविद्यालय(वीमेंस
कॉलेज परिसर), आईटी सिटी, नालंदा विश्वविद्यालय, परमाणु परियोजना, अंतर्राष्ट्रीय
स्तर का शूटिंग रेंज.... आप नाम लेते चले जाएं और पता चलेगा कि ये सारे नाम पटना
से लेकर राजगीर के बीच पसरे हैं या पसरने वाले हैं... इतना ही नहीं पटना एयरपोर्ट भी
नालंदा ही शिफ्ट होगा... चंपारण में बनने वाले सेंट्रल यूनिवर्सिटी पर ऐसा पेंच
फसाया कि कपिल सिब्बल गया में भी सेंट्रल यूनिवर्सिटी का जुगाड़ कर गए। मधुबनी में
मिथिला पेंटिंग संस्थान की स्थापना की बात जरूर कही पर वो अधर में ही लटका हुआ है।
चुनाव से ऐन पहले किराए के मकान में संस्थान का ऑफिस खोलने की घोषणा की गई। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">ये वही नीतीश हैं जो
कहते कि देश में क्षेत्रीय असमानता न हो। थिंक इंडिया डायलॉग में उन्होंने कहा कि
क्षेत्रीय असंतुलन से देश में रोष है। बिहार के अंदर फैले क्षेत्रीय असंतुलन पर
उन्हें कोई रोष है? जिस आरजेडी से उन्होंने समर्थन का जुगाड़ किया है उसके वरिष्ठ
नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने नीतीश के नालंदा प्रेम पर झल्लाते हुए कह दिया था
कि--- बिहार की राजधानी फिर से राजगीर में स्थापित कर दी जाए तो उन्हें हैरानी
नहीं होगी..... </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">बहुत कम लोगों को
पता है कि नालंदा पहले से ही विकसित जिला रहा है... नीतीश के राजनीतिक पटल पर
उभरने से पहले से... यानि विकसित को विकसित बनाने का स्वार्थ... याद होगा आपको कि नीतीश
कुमार जब-तब विकसित गुजरात के विकास की गाथा को नकारने की कोशिश में बयान देते
रहते हैं... पर यही काम वो बिहार में करते हैं... लोकसभा चुनाव में मिली पराजय से
खार खाए नीतीश ने अपना जो उत्तराधिकारी चुना है वो भी मगध से ही हैं... जी हैं गया
जिले के जीतन राम मांझी उनकी पसंद बने हैं। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">चाणक्य के प्रेमी
नीतीश गंगा के उस तट पर कुछ समय बैठें जिसे वो मरीन ड्राइव की शक्ल देने की चाहत
रखते... गंगा नदी के थपेरों की कौंध के बीच मंथन करें कि वोटरों ने उन्हें सचेत ही
किया है...राह दिखाई है... वो खूब आत्मालाप करें... गंगा की लहरों के संगीत उनसे यही
कहेंगे कि पूरे बिहार का होकर जीने की ख्वाहिश पालें... सही अर्थ वाले समावेशी
चिंतन की ओर मुड़ें...।</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"> <o:p></o:p></span></div>
<br />
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-49906554146661672292014-05-17T08:29:00.002-07:002014-05-17T08:29:42.245-07:00ये इंडिया का भारत से कनेक्ट है...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">ये इंडिया का भारत
से कनेक्ट है... </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">---------------------------------<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संजय मिश्र<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">-----------<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मोदी, मोदी....
मोदी, मोदी.... की चांटिंग..... जी हां, उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम... हर
तरफ यही गूंज... गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद नरेन्द्र मोदी की
धन्यवाद सभा से जो ये ध्वनि इंडिया के लोगों तक पहुंची तो ...फिर इसे देश के लोगों
के मानस के साथ शिंक ( </span><span style="font-family: "Times New Roman","serif"; mso-bidi-language: HI;">sync… </span><span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-ascii-font-family: "Times New Roman"; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-hansi-font-family: "Times New Roman";">)</span><span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"> होने में देर नहीं लगा... मोदी
के पीएम उम्मीदवार बनने के बाद ये कदमताल आकार लेता गया... लेकिन कांग्रेस की
अगुवाई वाली राजनीतिक जमात इसे पढ़ने और कबूल करने को तैयार न हुई... लिहाजा ...
१६ मई २०१४ को जब नतीजे आए तो इस देश की सबसे बूढ़ी राजनीतिक पार्टी यानि कांग्रेस
लीडर आफ अपोजिशन के लायक भी न बची... नरेन्द्र मोदी के नायकत्व में बीजेपी ने अपने
बूते मेजोरिटी हासिल कर इतिहास रच दिया है... </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">देश चलाने की खातिर
एनडीए की ही सरकार बनेगी.. सत्ता में आने वालों के इस संदेश पर समर्थक विहुंसि रहे
हैं और वो भी संतोष कर रहे होंगे जो मोदी को रोकने के लिए हर जायज और निर्लज्ज कदम
उठाते रहे... जनता के इस फैसले के संकेत स्पष्ट हैं... क्षत्रपों खासकर हिन्दी
क्षेत्रों के जातीए नेताओं की ब्लैकमेल की राजनीति के दिन अब लदने वाले हैं... उन
लोगों को भी झटका लगा है जो विशफुल थिंकिंग के आसरे पारंपरिक राजनीति को बनाए रखना
चाहते थे... मुसलमानपरस्ती के जवाब में धर्म से भींगी राजनीति ( यहां बीजेपी
पढ़ें) और इसे कम्यूनल बताकर और उसे चेक करने के चलते जातीए राजनीति को बढ़ावा
देने की हरसंभव कोशिश... हिन्दू धर्म में यकीन रखने वालों को बांटने की इस मंशा पर
वोटरों ने खींज उतारा है..<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">ये नतीजे कांग्रेस
की उस कोशिश को करारा जवाब है जिसके तहत सेक्यूलरिज्म को चुनावी मुद्दा बनाने का
दांव खेला गया। देश दुखी होता रहा कि वोट पाने की खातिर शासन चलाने के मिजाज(यानि
सेक्यूलरिज्म ) को ही बलि क्यों बनाया जा रहा... लेकिन सत्ता पाने के स्वार्थ में
अंधी हो चली कांग्रेस और उनके वामपंथी, प्रगतिवादी और समाजवादी समर्थकों को ये
चिंता नजर न आई.. सोनिया ने जब शाही इमाम से अपील कर सेक्यूलर वोट बिखड़ने से
रोकने की गुहार लगाई तो संजीदा लोगों को सर पीटने के अलावा कोई चारा न बचा। संदेश
ये गया कि मुसलमान सेक्यूलर हुए और बाकि आबादी पर चुप्पी... इस बची आबादी को लगा
उसे कम्यूनल ही माना गया। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">शाजिया इल्मी जी हां
आम आदमी पार्टी की नेता ने फरमाया कि मुसलमान बहुत सेक्यूलर हुए और उसके सांसारिक
हितों की रक्षा के लिए उसे कम्यूनल होना होगा... मतलब ये कि उसे मुसलमान होकर वोट
करना होगा... बेशक जीवन की जद्दोजहद से परेशान लोग बुनियादी सुविधाए चाहें तो
इसमें हर्ज नहीं... बतौर शाजिया इन बुनियादी हकों के चलते वो धार्मिक ब्लॉक की तरह
व्यवहार करे ... इस चाहत में न तो नफरत की जगह है और न ही हिंसा... जब इस मासूम सी
अभिलाषा को शाजिया कम्यूनल कह सकती हैं तो फिर इस महीन परिभाषा से इतर पीएम मनमोहन
सिंह के पाकिस्तान की शह पर काम करने वाले एक आतंकवादी के लिए रात भर सो नहीं सकने
की वेदना को किस श्रेणी के कम्यूनलिज्म का दर्जा देती इस देश की जनता... </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">एक अल्पसंख्यक की
पीड़ा मीडिया के लिए न्यूज सेंस के हिसाब से बड़ी खबर हो सकती है... पर शासन चलाने
वाले के लिए देश के हर व्यक्ति का दुख चिंता का कारण होता है... उसे नफरत फैला कर
या डराकर न्याय नहीं करना चाहिए...मनमोहन और दिग्विजय सिंह के कई बयान बहुसंख्यकों
को उद्वेलित और अपमानित करने वाले रहे... आरएसएस के विरोध की अंधी दौर में ये होश
न रहा कि बहुसंख्यकों को नीचा दिखाने की चूक हो रही। सैफ्रोन टेररिज्म यानि
केसरिया आतंकवाद यानि इंडिया के झंडे में उपयोग किए जाने वाले केसरिया रंग का
अपमान कर बैठे। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">बीजेपी के लिए खुश
होने का समय रहा जब ये शाब्दिक हमले होते रहे...चुनाव प्रचार के दौरान इस पार्टी
के नेता को पाशविक साबित करने की होड़ मची रही... बीजेपी के लिए वोट में इजाफा
होने की सूरत बन रही थी... उसे ये भी अहसास रहा कि बीजेपी के हिन्दुत्व को निशाना
बनाने के चक्कर में हिन्दू हित और हिन्दू चेतना पर भी कांग्रेसी निशाना साध रहे
... फायदा बीजेपी को ही मिलना था... कांग्रेस भूलती रही कि आजादी के आंदोलन के
दिनों में उसकी कोख में ये हिन्दू चेतना भी समाहित रही... विभाजन के बाद वो इसे
धीरे-धारे अच्छी तरह भूल बैठी... इंदिरा के समय वाम सोच के साथ मिल कर ऐसे इंडिया
के कंसेप्ट को पल्लवित करने में सफल हुई जिसमें भारत के साथ कंटिनुइटी नहीं रहे...
उसी इरादे का इजहार कांग्रेसी करते रहते जब वे कहते हैं कि इंडिया महज ६५ साल का
नौजवान देश है... नरेन्द्र मोदी का उभार उसी भारत और इंडिया के बीच पुल बनाने की
दस्तक है। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मोदी विरोधी नादान
नहीं है ... वे इस मर्म को समझ रहे। यही कारण है कि कांग्रेस का बौद्धिक समर्थक
वर्ग बहुसंख्यक उभार के खतरे की तरफ ध्यान खींचने लगा है... उसे अहसास है कि ६५ साला
देश की विशफुल थिंकिंग दरकने वाली है... कांग्रेस के कई नेता चुनाव अभियान के दौर
में बहुसंख्यक कम्यूनलिज्म के खतरे से यूं ही आगाह नहीं कर रहे थे... ये आत्ममंथन
का भाव नहीं था बल्कि इस नाम पर अपने वैचारिक पाप को ढकने की कोशिश ज्यादा प्रबल
थी... हां कांग्रेस इस बात से खुश हो सकती है कि मेनस्ट्रीम पार्टी के शासन के
चलते रहने की जो आकांक्षा उसने भी पाली थी उसे बीजेपी ने साकार कर
दिखाया...क्षत्रपों के कमजोर होने से कांग्रेस अपने पारंपरिक जनाधार फिर से हासिल
करने की हसरत पाल सकती है। </span><o:p></o:p></div>
<br />
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मुसलमानों के वोट
कमोबेश कांग्रेस के पाले में आ गए हैं... आम जनता बने रहने की मानसिकता विकसित
करने के लिए कांग्रेस मुसलमानों को समय दे दे यही वक्त की मांग है...मुसलमानपरस्ती
से तौबा करने से रूटलेस इंडिया की जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी... कुछ सालों तक
शानदार विपक्ष की भूमिका निभाए कांग्रेस ताकि लोकतांत्रिक फिजा में योगदान हो।
इससे उसके उस अहंकार का भी नाश होगा कि इंडिया को सिर्फ वही चला सकती है। नरेन्द्र
मोदी कुछ सालों तक देश को ढंग से चला गए तो इस देश को पुनर्जीवित कांग्रेस भी मिल
सकता है। <o:p></o:p></span></div>
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-40027343050518003842014-04-21T08:40:00.002-07:002014-04-21T08:40:53.130-07:00मराठियों को भी समझने की जरूरत है<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="background-color: white; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">मराठियों को भी समझने की जरूरत है
</span></span><br />
<span style="color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif;"><span style="background-color: white; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">------------------------------------------ </span></span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">संजय मिश्र
</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">------------</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">कई टीवी चैनलों में एक के बाद एक राज ठाकरे के साक्षात्कार विस्मयकारी थे ... इसके पीछे की राजनीति और मंसूबों पर किसी तरह की टिप्पणी इस पोस्ट का लक्ष्य नहीं... इससे पहले तक मीडिया में राज की एकरंग छवि छाई रही है... उम्मीद है राज के जो विचार सामने आए उससे एकरंग छवि बदले... </span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">क्या ये सच नहीं है कि अन्य राज्यों में बिहार से पलायन कर जाने वाले लोगों के साथ हुई नाइंसाफी पर मीडिया और बिहार के राजनेता कमोवेश चुप्पी साध लेते... महाराष्ट्र या बम्बई का नाम आते ही बिहार-यूपी के तमाम नेता और दिल्ली के हिन्दी पत्रकार मोर्चा संभाल लेते?</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">क्या ये सच नहीं है कि बिहार या यूपी के हुक्मरानों की नाकामी के कारण पलायन की भीषण रफ्तार बनी हुई है?</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">क्या ये सच नहीं है कि पलायनकर्ता इंडिया के संविधान की रक्षा करने महाराष्ट्र नहीं जाते बल्कि मजबूर होकर रोजी-रोटी की तलाश में वहां या कहीं पर भी जाते? </span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">इंडिया के लोग बिहार की भावनाओं को जितना समझें उतना ही महाराष्ट्र को जानना भी उनका फर्ज है... मराठियों को राज के बगैर भी समझा जा सकता....</span><br />
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">आपने गौर किया होगा कि बिहार सहित देश के तमाम राज्यों के लोग दूसरे राज्यों में काम की तलाश कर पेट की आग बुझा लेते.... लेकिन आपने ये भी गौर किया होगा कि महाराष्ट्र और मराठी संस्कृति के असर वाले सीमावर्ती राज्यों जैसे एमपी आदि के किसान विपत्ति आते ही आत्महत्या कर लेते... विदर्भ(महाराष्ट्र) में तो लाखो किसानों ने अपनी इहलीला समाप्त कर ली है.... वे दूसरे राज्यों में जाकर अपना पेट पाल सकते थे.. पर मराठियों की मानसिकता थोड़ी अलग है... बड़ी नौकरियों में मराठी आपको देश के किसी कोने में मिल जाएं लेकिन आम तौर पर वहां के लोग कष्ट काटकर भी अपने सांस्कृतिक क्षेत्र में ही जीवन जीना पसंद करते... यही कारण है कि उनके लिए अपने ही राज्य में रोजगार मिलने की आकांक्षा पालना बड़ा मुद्दा है..... इस सोच को ही राज ठाकरे जैसे लोग आवाज देते हैं ... बिहार जैसे राज्य के लोग कह सकते कि हे मराठी लोगों जान गंवाने से अच्छा है अपने ही देश के अन्य हिस्सों में रोजगार खोजने में संकोच न करें... पर क्या आपने कभी प्रभावकारी राजनीतिक दलों के नेताओं को अपने ही देश के मराठियों को महाराष्ट्र में ही रहने के मोह को विशेष परिस्थिति में त्यागने के लिए मलहम लगाते सुना है? लालू, नीतीश, मुलायम, शरद .. या फिर कांग्रेस, बीजेपी के लाट साहबों के मुंह से?..</span></div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-13427444979524788522014-04-19T10:33:00.001-07:002014-04-19T10:33:13.987-07:00मीडिया पर हो रहे चौतरफा हमले<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
मीडिया पर हो रहे चौतरफा हमले
<br />
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<br />
संजय मिश्र
<br />
------------<br />
मीडिया में साख की कमी है ये तो जानी हुई बात है.. लेकिन पिछले कई दिनों से मीडिया(खासकर टीवी चैनल्स) पर जिस तरह आरोपों के हमले हो रहे हैं वो असहजता पैदा करने वाले हैं... ... शनिवार को भी राज ठाकरे और उसके बाद आजम खान ने जिस अंदाज में भड़ास निकाले वो ध्यान खींचने के लिए काफी है..... राज के बयान में उदंडता का भाव है वहीं आजम ने लगातार नरेन्द्र मोदी से पैसे खाने का आरोप मीडिया पर लगाया है... एबीपी न्यूज के एक कार्यक्रम में आजम ने बदमिजाज लहजे में एंकर अभिसार को मोदी से पैसे मिलने का जिक्र किया... इस चैनल ने कोई प्रतिकार नहीं किया... बेशक पत्रकारिता की परिपाटी है कि सवाल पूछने के बाद पत्रकार को जवाब सुनना होता है चाहे जवाब कितना भी उत्तेजना पैदा करने वाला क्यों न हो... लेकिन केजरीवाल की तरफ से पत्रकारों को जेल भेजने वाली धमकी के बाद से ये सिलसिला सा बन गया है... ऐसा लगता है एक एजेंडे के तहत मीडिया पर मोदी से पैसे पाने के आरोप लगाए जा रहे हैं ... राजनीतिक मकसद ये कि पत्रकार सेक्यूलर-कम्यूनल चुनावी अभियान में सेक्यूलरिस्टों का गुलाम की तरह साथ दें... मकसद जो भी हो कई सवाल उभरते हैं...मीडिया आरोपों को नकारता क्यों नहीं है? मीडिया ये क्यों नहीं पूछता कि आरोप लगाने वाले पुष्ट तथ्य पेश करें ? मीडिया आरोप लगाने वालों को मानहानि के मुकदमें की चेतावनी क्यों नहीं देता? पीसीआई और एनबीए चुप क्यों है? मान लें कि सभी हिन्दी टीवी चैनल बिकाउ हैं तो सभी ने इकट्ठे मोदी से ही पैसे क्यों खाए? चैनलों ने कांग्रेस से पैसे क्यों नहीं लिए? बिन पैसे के तो समाजवादी पार्टी भी एक दिन नहीं चल सकती... तो आजम की पार्टी ने पत्रकारों को क्यों नहीं खरीद लिया? क्या पिछले ६५ सालों में राजनीतिक दलों ने पत्रकारों या चैनलों को कभी भी प्रभावित नहीं किया है... सत्ता या पैसों के जरिए? मान लें कि पैसों का खेल पहले भी हुआ तो उन चुनावों के समय मीडिया पर आरोप क्यों नहीं लगे? क्या बीजेपी को छोड़ बाकि सभी राजनीतिक दल राजा हरिश्चंद्र की तरह जीने का दावा कर सकने की हिम्मत रखते हैं? असल में साल २००९ से पत्रकारों ने जिस तरीके का व्यवहार किया है उसने कांग्रेस और अन्य कथित सेक्यूलर राजनीति वाले दलों को उन्हें गुलाम की तरह इस्तेमाल करने योग्य हथियार मानने के लिए लुभाया है। पहले भी इंडिया का मीडिया विचारधाराओं की प्रतिबद्धता में उलझने की भूल करता रहा है... और इस चक्कर में बेईमानी भी करता रहा है। आजादी के आंदोलन में लगे लोगों को मीडिया का सहयोग कुछ हद तक मिलता रहा। विदेशी दासता से मुक्ति के लिए इसे जायज भी माना जा सकता था। लेकिन आजादी के बाद मीडिया को अपने रूख में जो तब्दीली करनी चाहिए थी वो चाहत नहीं दिखी। सुनियोजित तरीके से वाम कार्ड होल्डरों और लोहियावादियों का मीडिया में प्रवेश और इन विचारधाराओं के हिसाब से जनमत को प्रभावित करने का खेल चलता रहा। फिर भी कुछ मर्यादाएं रख छोड़ी गई... न्यूज सेंस से खिलवाड़ नहीं किया गया। लेकिन हाल के समय में न्यूज सेंस से भी छेड़छाड़ की गई है... ... एंटी इस्टैबलिस्मेंट मोड में होने की मनोवृति को भुलाकर सत्ताधारी दल की बजाए विपक्ष को लताड़ने की परिपाटी को पुष्ट किया गया.... मुजफ्फरनगर दंगों की रिपोर्टिंग दिलचस्प तथ्य पेश करने योग्य हैं..... भड़काउ भाषण देने वाले नेताओं की फेहरिस्त से कांग्रेसी नेता का नाम एबीपी न्यूज के पैकेज से गायब होना नतमस्तक होने की पराकाष्ठा थी... बाबा रामदेव के समर्थकों पर हुए लाठीचार्ज के विजुअल केन्द्र की सत्ता की धमकी पर उपयोग नहीं करने जैसे पत्रकारिए अपराध किए गए... जाहिर है सत्ताधीशों का मन चढ़ेगा ही... आरोपों की बौछार के बीच मीडिया को अपने अंदर झांकने का वक्त आ गया है... साख पर बट्टा न लगे इसके लिए वे फौरी तौर पर आरोप लगाने वालों को जवाब दें साथ ही पत्रकारों को पानी में डूब कर नहीं भींगने की कला की ओर रूख करने के बारे में सोचना चाहिए .. </div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-3872870975727681192014-04-05T21:03:00.000-07:002014-04-05T21:03:10.122-07:00विकास पुरूष लौटे मंडल राजनीति की गोद में <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">विकास पुरूष लौटे मंडल राजनीति की गोद में </span><br style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">-------------------------------------------------</span><br />
संजय मिश्र
<br />
-----------<br style="background-color: white;" /><span style="background-color: white; color: #141823; font-family: Helvetica, Arial, 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 19.31999969482422px;">५ अप्रैल को नीतीश कुमार को सुनना उन लोगों के लिए कसैला स्वाद वाला मेनू साबित हुआ होगा जो उन्हें खांटी विकास पुरूष के रूप में देखना पसंद करते... मौका था जेडीयू घोषणा पत्र के जारी होने का... पार्टी सुप्रीमो नीतीश ने ठसक से ऐलान किया कि निजी क्षेत्र में देश भर में आरक्षण की व्यवस्था की वे पैरोकारी करेंगे... ये आफिसियल है...घोषणापत्र का वादा है... यानि ये नहीं कह सकते कि चुनावी फिजा के बीच कोई बात यूं ही कह दी गई... नीतीश अब अपने मूल राजनीतिक प्रस्थान बिंदू की तरफ लौट रहे हैं...यानि मंडल राजनीति की आगोश में फिर से समा जाना चाहते.. उनके विरोधी अरसे से कहते आ रहे हैं कि जेडीयू का आरजेडीकरण हो रहा है... लेकिन अब ये पक्की बात है... राजनीतिक परिदृष्य पर गौर करें... निजी क्षेत्र में आरक्षण के सबसे बड़े पैरोकार एलजेपी सुप्रीमो राम विलास पासवान एनडीए में जा चुके हैं और माना जा सकता कि इस स्पेस को नीतीश भरना चाहते... उधर नरेन्द्र मोदी लगातार कह रहे कि अगला दशक पिछड़ों और दलितों के उत्कर्ष का समय होगा... तो क्या इस राजनीतिक चुनौती को देख नीतीश सर्वाइवल के लिए मंडल राजनीति की ओर मुड़ने को बाध्य हुए हैं? ... राजनीतिक समीक्षक कह सकते कि हाल के चुनावी सर्वेक्षणों के नतीजों से नीतीश हिल चुके हैं लिहाजा ऐसे कदम उठाना हैरान नहीं करना चाहिए... पर याद करने की जरूरत है कि इन्हीं सर्वेक्षणों में नीतीश बिहार में सबसे पसंद किए जाने वाले व्यक्ति हैं... पसंद करने वालों की फेहरिस्त में बीजेपी समर्थक बड़ी तादाद में हैं... तो क्या ये माना जाए कि गठबंधन तोड़ने के निर्णय के समय पसंद करने वाले इस तबके की इच्छा की अनदेखी करनेवाले नीतीश अब फिर से इनकी अनदेखी कर रहे और लालू शैली की ओर मुड़ रहे? ...दरअसल नीतीश विरोधाभासी व्यक्तित्व के दर्शन करा रहे हैं जो कि राजनीति में अनयुजुवल नहीं है... ... एक तरफ वे कहते कि उन्होंने सिद्धांत की कीमत चुकाई है... दूसरी तरफ जनाधार खिसकने की आशंका की व्याकुलता भी दिखा रहे... सत्ता के खेल का चरित्र निर्मोही होता है... इसे समझने में बिहार के मौजूदा राजनीति के इस चाणक्य से भूल हुई होगी ...ऐसा बिहार के बाहर के राजनीतिक पंडित मान रहे होंगे... वे ये भी सोच रहे होंगे कि नीतीश के लिए रास्ता बदलना आसान नहीं होगा... पर नीतीश ने पहले से ही गुंजाइश रख छोड़ी है... उनके कई पसंदीदा शब्द हैं जिनमें - इनक्लूसिव ग्रोथ- सबसे अहम है... नीतीश के इंक्लूसिव ग्रोथ में आरक्षण का तड़का ज्यादा घनीभूत है जो कि कांग्रेस के इंक्लूसिव ग्रोथ से अलग है .... नीतीश ने महादलित कार्ड को अपने इनक्लूसिव ग्रोथ के दायरे में अक्सर भुनाया है... लिहाजा जातीए राजनीति की ओर सरकना उनके लिए उतना भी मुश्किल नहीं होगा...</span></div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-26152004574929507182014-03-18T21:17:00.001-07:002014-03-18T21:17:31.066-07:00नेहरू...नरेन्द्र मोदी....और राहुल<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">नेहरू...नरेन्द्र
मोदी....और राहुल<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">--------------------------------<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संजय मिश्र<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">---------------<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">नरेन्द्र मोदी भव्य
भारत बनाने का सपना देख और दिखा रहे हैं। उनकी तमन्ना है कि ये देश इतना
ऐश्वर्यशाली बने कि वो विकसित देशों की कतार में हो और उसे नेतृत्व दे सके। देश के
कोने-कोने में रैलियां कर वे अपने मंसूबों का इजहार कर रहे। आम चुनाव माथे पर है
लिहाजा राहुल गांधी दम-खम के साथ सुदूर इलाकों में जाकर राजनीतिक प्रयोग की नई
मीमांसा में लगे हैं। वहीं उनकी पार्टी का थिंक टैंक कांग्रेस ब्रांड सेक्यूलरिज्म
और कम्यूनलिज्म के दो खांचे में इंडिया को आबद्ध करने में लीन हैं। जाहिर है साल
२०१४ के आम चुनाव रोचक बन गए हैं।</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">वैभवशाली इंडिया की
बात चले ... निर्माण के सपने हों.. तो नेहरू का नाम अनायास ही जेहन में कौंधेगा...
उनकी राजनीतिक विरासत की धड़कन सुनाई देगी। इंडिया के पहले पीएम विकासशील और तकनीक
संपन्न देश बनाना चाहते थे। हर तरफ निर्माण की गूंज थी तब। फैक्ट्रियों को वे आधुनिक
मंदिर कहा करते। आज नरेन्द्र मोदी अतुल्य विकसित भारत की कल्पना में गोता लगा रहे।
एक तरफ दुनिया की सबसे उंची प्रतिमा निर्माण की ख्वाहिश तो दूसरी तरफ देवालय से
पहले शौचालय की वकालत। साथ ही सिस्टम में दक्षता और चुस्त डेलिवरी की पैरोकारी।</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मोदी का इशारा है कि
व्यवस्था लचर तरीके से चलती रही नतीजतन चीन जैसे देश तेजी से आगे बढ़ गए और इंडिया
पिछड़ गया। शासक वर्ग में देश के लिए निष्ठुर लापरवाही का नतीजा राहुल भी देख और गुन
रहे। इसलिए ऐसे वर्ग समूहों से नुक्कड़ शैली में मिल रहे जो कांग्रेसी नेताओं की
राजनीतिक संस्कृति कभी न रही। राहुल को अहसास हो चला है कि छह दशक का विकास
समग्रता लिए हुए नहीं है। राहुल उस वाकये को भूल नहीं सकते जब गुजरात के
सुरेन्द्रनगर जिले में नमक बनाने वाले मजदूरों की वे व्यथा सुन रहे थे... और
उन्हें कहा गया कि हेल्थ हेजार्ड की वजह से मरने पर इन मजदूरों की लाश भी पूरी तरह
नहीं जल पाती।</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">यानि कमियां हर तरफ
हैं और लोगों की दिक्कतों पर संवेदनशीलता का घोर अभाव है। नेहरू इस तरह की चुनोती
की अहमियत जानते थे तभी उन्होंने कहा था कि- .... सरकार के प्रयासों को लोक हित के
पैमाने पर ही कसा जा सकता...असल मकसद लोगों की खुशी हैं। नेहरू ने अपने को –
फर्स्ट सर्वेंट ऑफ इंडियन पीपुल – यूं ही नहीं कहा था। तो क्या राहुल सचेत होकर उस
तरह की कमी को पाटने की हसरत पाले आगे बढ़ रहे हैं जो देश की प्रगति की राह में
रोड़ा बन खड़ी रही। इन बाधाओं की फेहरिस्त लंबी हो सकती है। मसलन सहकर्मियों के
लाख मना करने के बावजूद नेहरू का आईसीएस को जारी रखना, कांग्रेस के अहंकारी नेताओं
का वो भाव कि इनके सिवा इस देश को कोई नहीं चला सकता, सत्ता से जुड़े सब तरह के
भ्रष्ट आचरण को वैद्य मानते जाना, शासन प्रणाली में पनपी सड़ांध के प्रति
निर्विकार रूख अपनाना... </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">राहुल विविध समूहों
से मिल रहे और वहां जाति और धर्म वाली राजनीति का खयाल नहीं करते। ये संतोष देने
लायक अभीष्ठ हो सकता है। लेकिन नेहरू को बरबस याद करने वाले कांग्रेसी दिग्गज
चुनाव को सेक्यूलर बनाम कम्यूनल रखने पर अड़े हुए हैं। चुनावी रणनीति के नाम पर
राहुल भी उनके लपेटे में आ रहे। राहुल बार बार गुजरात दंगों पर बयान दे रहे हैं।
कभी राजा अशोक और अकबर से अपनी तुलना करते तो औरंगजेब का नाम ले मोदी की तरफ इशारा
कर जाते। इस बीच सच्चर कमिटी पर चर्चा थम सी गई है...इस रिपोर्ट की तल्ख सच्चाई का
सामने आना उन्हें गवारा नहीं लिहाजा दंगा केन्द्रित चुनाव अभियान पर फोकस है। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">कांग्रेस ब्रांड
सेक्यूलरिस्ट नेहरू को जितना याद करते... बीजेपी वाले इंदिरा के पराक्रम की
प्रशंसा कर और नरेन्द्र मोदी खास तौर पर पटेल का गुणगान कर उन्हें छका जाते। मोदी
के लिए पटेल महज चुनावी तिलिस्म नहीं हैं। रह रह कर चीन से मिली पराजय की चर्चा तो
हो ही रही है साथ ही पटेल की अप्रतिम सबसे उंची प्रतिमा बनाने की कवायद चल रही है।
मोदी कहते निर्माण का बेजोड़ नमूना होगा ये। वही – निर्माण – शब्द जो नेहरू को
प्रिय था। खांचे में बांट कर सियासी फायदा लेने की चाहत वाला कांग्रेसी तबका
आरएसएस पर पटेल की राय का हवाला दे रहा है पर पटेल के उस बयान से कन्नी काटने की
कोशिश भी दिखती जिसमें इंडिया के पहले गृह मंत्री ने नेहरू को – द ओनली नेशनलिस्ट
मुसलिम आई नो – कह कर संबोधित किया था। अब राहुल क्या करें... जनसंवाद और अपने
वरिष्ठों के दंगा केन्द्रित अभियान के बीच के कशमकश से कैसे पार पाएं? क्या नेहरू
से संबल पाने की अभिलाषा करें वे?</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">आजादी के बाद का
समय... गंभीर अन्न संकट के चलते अनाज आयात की नौबत। साल १९५२ की ही बात है जब
नेहरू कह उठे - ... मुझे खेद है कि मेरे वचन झूठे साबित हुए हैं और मैं बेहद
शर्मिंदा महसूस कर रहा हूं कि देश के लिए जो संकल्प मैंने लिए वो गलत साबित हो
रहे... </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">ये उन्हीं नेहरू के
शब्द हैं जिनकी सोच सिंथेटिक होने की बात गाहे-बगाहे उठती रही। साल १९४२ में ही
महात्मा गांधी ने नेहरू पर जो टिप्पणी की थी उसे गौर करें - ... हमारे मतभेद तभी
से सामने आने लगे जबसे हम सहकर्मी बने... और मैं सालों से कह रहा कि राजाजी नहीं
बल्कि नेहरू मेरे उत्तराधिकारी होंगे... नेहरू मेरी भाषा(विचार) नहीं समझते और वो
जो भाषा(विचार) बोलते वो मेरे लिए भदेसी है... लेकिन मैं जानता हूं कि जब मैं नहीं
रहूंगा... तब वो मेरी भाषा बोलेंगे... </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">राहुल अपनी भाषा की
तलाश में हैं। ये भी कहा जाता है कि काफी ना-नुकुर के बाद उन्होंने कमान संभाली
है। यूपीए के दस साल की एंटी इनकंबेंसी का बैगेज है उनपर। सुदूर इलाकों की खाक
छानने से मिला अनुभव उन्हें इंडिया के साथ भारत के भी दर्शन करा रहा है। लोगों को
अधिकार संपन्न बनाने जैसे राजनीतिक मुहाबरे का साथ है उनके पास। ऐसा मानने वाले
बहुत हैं जो उनको साल २०१९ आम चुनावों में फेवरिट पीएम मैटेरियल साबित होने वाला
बताते। वे कहते कि तब तक - राहुल कांग्रेस - आकार ले चुका होगा जो उनके पीछे खड़ा
होगा। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">नेहरू ने भारत को
जानने की कोशिश की और डिस्सकवरी ऑफ इंडिया लिख डाली। राहुल भारत और उसकी
जनआकांक्षा को डिस्कवर कर रहे। वे कहते कि इस आकांक्षा की झलक कांग्रेस के
मेनिफेस्टो में दिखेगी। अब नेहरू के एक और बयान से गुजरिए- </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">... हम आधुनिक युग
से तभी तालमेल बिठा पाएंगे जब हम लेटेस्ट टेक्नीक का इस्तेमाल करेंगे... चाहे वो
बड़ी फैक्ट्रियां हों या छोटी या फिर ग्रामीण उद्योग....<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">न जाने नेहरू यहां
पर गांधी की भाषा किस हद तक बोल रहे थे...दिलचस्प है कि नरेन्द्र मोदी के भाषणों
में नेहरू के इस समझ की प्रतिध्वनि सुनाई पड़ती है। चुनाव प्रचार के शोर के बीच
याद रखना जरूरी है कि हाल के समय में औद्योगिक विकास में इंडिया काफी पिछड़ा है। </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">साल १९६४...स्थान-
भुवनेश्वर.... नेहरू का आखिरी भाषण...इसके कुछ अंश देखें- </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">... केवल भौतिक उन्नति
मानव जीवन को मूल्यवान और सार्थक नहीं बना सकता... आर्थिक विकास के साथ नैतिक और
आध्यात्मिक मूल्य को बढ़ावा देना होगा... ये मानव संपदा को पूरी तरह सुखी और
चारित्रिक बनाए रखेगा... </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संभव है सोच के ऐसे
रंग देश के एक बड़े वर्ग और बीजेपी के चुनिंदा बुजुर्ग नेताओं के उद्गार में दिखें।
जहां नैतिकता और चरित्र जैसे शब्द हों ... ऐसी समझ को मौजूदा प्रगतिशील
यथास्थितिवादी कह कर खारिज करते रहते। राहुल जब अपने वरिष्ठों और प्रगिशीलों की
दंगा केन्द्रित अभियान की बातें सुनते हैं तो क्या उन्हें नेहरू के इस कथन का
अख्यास रहता है? </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">डिस्कवरी ऑफ इंडिया
के एक और अंश को देखें- </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">... आधुनिक मानस...
व्यावहारिक और विवेकसम्मत, नैतिक और सामाजिक है.... ये तबका सामाजिक बेहतरी के लिए
व्यावहारिक आदर्श से संचालित है... यही आदर्श जो उसे प्रेरित करते...- युगधर्म –
है... इसके लिए मानवता ही ईश्वर है और समाज सेवा ही इसका धर्म है... </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">यहां हुक्मरानों के
लिए उस बड़प्पन से सरोकार जताने की ओर संकेत है कि सत्ता में यांत्रिक सोच न हो। नेहरू
के इस- युग धर्म - की पटेल को याद करने वाले नरेन्द्र मोदी और कशमकश से जूझ रहे
राहुल गांधी कितनी गरमाहट महसूस करने को तैयार हैं...ये तो वे ही बता सकते...? </span><o:p></o:p></div>
<br />
<div class="MsoNormal">
<br /></div>
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-68723656441985409102014-02-19T09:40:00.002-08:002014-02-19T09:40:50.424-08:00देश ऐसे नहीं चलाई जाती ... केजरीवालजी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">देश ऐसे नहीं
चलाई जाती ... केजरीवालजी<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">---------------------------------------<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">संजय मिश्र<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">------------- </span><span style="font-family: Tahoma, sans-serif; font-size: 12pt;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">२१ जनवरी २०१४ की
सुबह... इंडिया के लोगों ने जब अस्त-व्यस्त हालत में केजरीवाल को देखा तो वे फक्र से
तर-बतर हो गए ... सर्द मौसम में.... सड़क पर.... देश का एक सीएम अपने कैबिनेट के
साथ बीती रात गुजार कर उठा था ... केजरीवाल से लाख असहमतियों के बावजूद ये दृष्य
निश्चय ही ऐतिहासिक रहे। एक तरफ राजा-महराजा और भोग-विलास वाली मानसिकता...तो दूसरी
ओर इस मानसिकता से संघर्षरत नई किस्म की राजनीति... एक तरफ राज करने की ठसक तो
दूसरी ओर सीधे प्रजातंत्र के तत्वों को स्थापित करने की अभिलाषा। अन्ना ने मौजूदा
प्रजातांत्रिक रूख को</span><span style="font-family: Tahoma, sans-serif; font-size: 12pt;"> </span><span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">जो आक्सीजन दी ... उसी का ये विराट रूप आस
लगाने वालों को संतोष दे रहा था। </span><span style="font-family: Tahoma, sans-serif; font-size: 12pt;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">उस दिन जनमानस इस
बात को इग्नोर करने के लिए भी तैयार दिखा कि रेल भवन के सामने दिए जा रहे धरना का
लक्ष्य कितना मामूली था। एक मंत्री के विवादों से ध्यान बटाने की कोशिश। उम्मीद
बंधी कि ये कदम दिल्ली राज्य के अधिकार बढ़ाने की ओर रूपायित हो जाएगा। संतोष इस
बात का कि ऐसे कदमों से आखिरकार नई राजनीति के सपनों को पंख लगेंगे। धरने का अंत निराशाजनक
साबित हुआ। निराशा संताप में उस दिन बदल गई जब शासन के ४९ वें दिन केजरीवाल ने
इस्तीफा दे दिया। </span><span style="font-family: Tahoma, sans-serif; font-size: 12pt;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">आम आदमी पार्टी
की सरकार के ४९ दिनी कार्यकाल पर सरसरी नजर दौड़ाएं तो उस तरह के लक्षण दिखते जो
आशावानों में क्षोभ पैदा कर सकते। बतौर सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल की खतरनाक
मंसूबों वाली तस्वीर हुलकी मारने लगती। सत्ता को एडवेंचर की मानिंद चलाने की उत्कट
कोशिश। परसेप्सन बना कि न तो इस रोमांच को वे न्यायसंगत बना पाए और न ही इंडियन
पालिटिक्स को शासन के जरिए कोई नया अवदान देने में कामयाब हो सके। उल्टे इंडिया
सहम सा गया है। कई कई बार केजरीवाल शासन की जतन से पड़ताल कर लेने की अकुलाहट सभी
तरफ पसर गई है। </span><span style="font-family: Tahoma, sans-serif; font-size: 12pt;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">नई राजनीति का
सपना इस दौर में आकार ले पाने से पहले ही कुम्हलाने लगा। ऐसा पहली दफा हुआ कि कोई
राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव लड़ने की लालच में राज्य सरकार की जिम्मेदारी छोड़ भाग
खड़ी हुई। बेशक ऐसा कहने वाले मिल जाएंगे जो इस तरह की छवि को केजरीवाल के खिलाफ नकारात्मकता
अभियान करार दे दे। पर याद रखना चाहिए कि केजरीवाल ने गुमान से कहा था कि वो एनार्किस्ट
हैं। हालांकि उनके उस बयान से सहमति नहीं जताई जा सकती पर आआप नेताओं के
कार्यकलापों में अधीरता, महत्वाकांक्षा, बात से पलटना, हकीकत से उलट दावे करना परेशान
करने वाले संकेत तो हैं ही। ये संकेत तो पारंपरिक राजनीति को पहले से ही लहुलुहान
किए हुए हैं। </span><span style="font-family: Tahoma, sans-serif; font-size: 12pt;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">ये नहीं भूलना
चाहिए कि केजरीवाल सरकार के अधिकांश कदम अनूठे नहीं हैं और इस देश में पहले भी
उठाए गए हैं। सीएम का धरने पर बैठना और फौरी राहत मिलते ही धरने से उठ जाना, जनता
दरबार लगाना और फिर उससे तौबा करना, एलीट संस्कृति से दूरी बनाना और बाद में उसका
लाभ ले लेना, सत्ता में जाने के लिए रेफरेंडम करना लेकिन सत्ता छोड़ने के लिए ऐसा
नहीं करना... ये विरोधाभास मुंह बाए खड़े हैं। नई राजनीति के बिंदु ये तब बनते जब
इन्हें अधिक रूचिकर बनाया जाता साथ ही इसके लिए दीर्घकालिक ललक दिखाई जाती। जिस
दिल्ली जनलोकपाल बिल और स्वराज बिल को आआप के दिल के करीब बताया गया उन्हीं बिलों
की बलि लेकर सत्ता से छुटकारा पाया गया। </span><span style="font-family: Tahoma, sans-serif; font-size: 12pt;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">सत्ता छोड़ने की
इस कवायद को क्लासिकल राजनीतिक पलायन के रूप में दर्ज करेगा इतिहास। उपराज्यपाल के
संदेश पर मतविभाजन में पिटी थी सरकार लेकिन झूठी दलील दी गई कि जनलोकपाल पेश नहीं
होने के कारण छोड़ी सत्ता। असली मंशा तब खुल कर सामने आई जब दावा किया गया कि
बहुमत की सरकार ने विधानमंडल भंग करने की सिफारिश की है लिहाजा चुनाव कराए जाएं।
नजर इस बात पर कि लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी करवा लिए जाएं। </span><span style="font-family: Tahoma, sans-serif; font-size: 12pt;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">केजरीवाल ने
अरमान जगाया था कि वे सर्जक की भूमिका निभाएंगे। लेकिन दिल्ली जनलोकपाल बिल
उपराज्यपाल को नहीं भेजने की जिद हैरत में डाल गया। संदेश दिया गया कि ये ड्यूटी
आफ डिसओबेडिएंस है। किस खातिर? जवाब आया कि दिल्ली विधानसभा के अधिकार वापस दिलाने
की खातिर। पर इसके लिए केजरीवाल ने कोई पहल नहीं की। अधिकार दिलाने के उभर-खाबर
राह के बावजूद वे सर्वदलीय शिष्टमंडल लेकर राष्ट्रपति और पीएम से मिल सकते थे। कुछ
हासिल नहीं होता तो एक बार फिर बतौर सीएम धरने पर ही बैठ जाते। विपक्षी दलों के
नेताओं को अपने साथ धरने पर बैठने के लिए नैतिक दबाव बनाते। ऐसा कुछ न हुआ। </span><span style="font-family: Tahoma, sans-serif; font-size: 12pt;"><o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">न तो दिल्ली
राज्य को अधिकार मिले और न ही जनलोकपाल। हां, केजरीवाल को सुर्खियां जरूर मिलती
रही। कभी नई घोषणाएं कर तो अगले दिन किसी नामी व्यक्ति के खिलाफ आरोप लगाकर। उसी
आरोप को अधर में छोड़ अगले ही दिन किसी दूसरे व्यक्ति पर आरोप। सिलसिला चलता रहा
लेकिन आरोपों पर कोई फालोअप नहीं। हिट एंड रन का ऐसा नंगा नाच इस देश ने पहली बार
देखा। घोषणाओं के अमल की फिकर नदारद। डेलिवरी सिस्टम दुरूस्त करने की पलखत नहीं।
तो फिर मौजूदा सिस्टम से अविश्वास जताने का क्या मतलब?<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">न तो केजरीवाल
मासूम हैं और न ही मीडिया भोला। मीडिया का अपना एजेंडा है २०१४ तक के लिए।
केजरीवाल इस उर्वर मौके की फसल काटने में मशगूल हैं। केजरीवाल लगातार कहते हैं कि
वो नेताओं को राजनीति सिखा रहे। उन्हें भले परवाह न हो पर राजनीति सिखाने के इस
अंदाज में जो अहंकार टपकता है वो नई राजनीति का मुंह जरूर चिढ़ा रहा। तो क्या नई
राजनीति के पहरूए झूठ बोलना सिखा रहे... बात से मुकड़ने की नसीहत दे रहे.. आरोप
लगाने की ट्रेनिंग दे रहे हैं?</span><span style="font-family: Tahoma, sans-serif; font-size: 12pt;"><o:p></o:p></span></div>
<br />
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal" style="background: white; margin-bottom: 3.75pt; mso-line-height-alt: 10.55pt; mso-outline-level: 5;">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; font-size: 12pt;">इन प्रवृतियों का
महिमामंडन हुआ तो पारंपरिक राजनीति इसे हाथों-हाथ लेगी। तब इंडिया को बिचलित होने
से रोका नहीं जा सकेगा। नई राजनीति के पैरोकारों के लिए ये गंभीर चुनौती है। ये
महज संयोग नहीं कि हर राजनीतिक आंदोलन की सफलता के तत्काल बाद इंडिया सिसकने लगता
है। गांधी उतने निराश नहीं हुए होंगे जितने की जेपी ... और जेपी उतने निराश नहीं
हुए होंगे जितने की अन्ना हो सकते हैं। क्या इंडिया इस तरह की निराशा का जोखिम ले
सकेगा? २०१४ चुनावों तक सब्र करें... अरसा बिताने की जरूरत कहां। </span><span style="font-family: Tahoma, sans-serif; font-size: 12pt;"><o:p></o:p></span></div>
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-17846693738789983722013-12-30T20:38:00.001-08:002013-12-30T20:38:13.593-08:00मोदी, केजरीवाल और मीडिया<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मोदी, केजरीवाल और
मीडिया<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">--------------------------------</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">संजय मिश्र<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">-----------<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">दिल्ली में राजनीतिक
शतरंज की गोटियां बिठाने की चाल हद से ज्यादा चली जा रही है...राजनीतिक खिलाड़ी
पर्दे के पीछे हैं और वहां का मीडिया खुद मोहरा बन इसकी अगुवाई कर रहा है...
इंडिया में जो वर्ग केजरीवाल के उभार से व्यवस्था परिवर्तन की उम्मीदें पाले बैठा
है वे सुखद अनुभूति से भर उठे होंगे कि अब नरेन्द्र मोदी के बरक्स केजरीवाल को
राजनीतिक क्षितिज पर पेश किया जा रहा है... नगर निगम से थोड़ी ही ज्यादा पावर वाले
दिल्ली के विधानसभा के सत्ताधीशों से देश में राजनीतिक क्रांति का ज्वार पैदा करने
वाले मीडिया में केजरीवाल वर्सेस राहुल गांधी जैसे जुमले का नहीं होना संदेह जगाने
के लिए काफी है। आप फेनोमेना के मुरीदों को इस पर चौंकना चाहिए।<o:p></o:p></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">ध्यान उस खबर की तरफ
भी जानी चाहिए कि दिल्ली सचिवालय से पत्रकार बाहर कर दिए गए... उससे भी बड़ी खबर
है कि वे आप की सरकारी टीम पर चीख कर अपनी हैसियत बघार रहे थे... वही पत्रकार जो
चिदंबरम की एक अदद एडवाइजरी पर सांसें थाम लेते थे... वही लोग जो कपिल सिब्बल के
इशारे पर रामलीला मैदान में रामदेव के समर्थकों पर देर रात हुए बर्बर लाठी चार्ज
की विजुवल अपनी बुलेटिनों से गायब कर देते रहे... उनकी वो कारस्तानी याद होगी आपको
जब कोर्ट के संज्ञान लेते ही उस लाठी चार्ज के विजुवल बुलेटिनों में छा गए थे...
और अगले दिन से ही विजुवल के गायब होने का सिलसिला फिर से शुरू...फिर सचिवालय के
बाहर का ये आक्रोश और स्टूडियो में केजरीवाल वंदना दोनों साथ-साथ चलने के क्या
मायने हैं? </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मीडिया का क्या
है?... उसने अपनी गत पेंडूलम की बना रखी है... उसकी डिक्सनरी में निर्लज्जता जैसे
शब्द नहीं हैं... लिहाजा दिल्ली के सत्ता केन्द्रों की मादक आंच के आदी वहां के
पत्रकार सयाना बन रहे हैं। पर लालू प्रसाद के बयान ने उनकी पोल-पट्टी को उघार कर
रख दिया है। लालू प्रसाद की मानें तो राहुल का कोई मुकाबला नहीं है... मोदी और
केजरीवाल की राहुल के सामने कोई राजनीतिक हैसियत नहीं... ये तो बस मीडिया की उपज
हैं... यानि राहुल सर्वमान्य हैं और बाकि लोगों की बाकि लोगों से तुलना हो...
मीडिया इसी पैटर्न पर आगे बढ़ रहा है...</span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">अब वरिष्ठ कांग्रेसी
जनार्दन द्विवेदी के बयान की तरफ मुड़ें... इसमें कहा गया कि केजरीवाल के पास
विचारधारा नहीं है... साथ ही ये भी कहा गया कि बिन विचारधारा आम आदमी पार्टी लंबी
राजनीतिक पारी नहीं खेल सकती। यानि आप पर चालाकी से हमले भी हो रहे साथ ही सहृदयता
दिखा कर केजरीवाल की मोदी से तुलना भी की जा रही है। यानि मोदी की हैसियत को कमतर
बताकर बीजेपी को श्रीहीन साबित करने की कवायद भी हो रही। यहां गौर करने वाली बात
है कि केजरीवाल की तुलना न तो नीतीश, ममता, पटनायक से हो रही है और न ही लालू,
मुलायम से..द्रविड पार्टियां तो उनके कैनवास पर ही नहीं... . </span><o:p></o:p></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">इतना ही नही... फर्ज
करिए आप लोकसभा चुनावों में ३०० सीटों पर चुनाव लड़कर इतनी सीटें हासिल करे कि वो तीसरी
शक्ति बन जाए तो मौजूदा थर्ड फ्रंट वाले कहां होंगे?... यानि वे चौथी शक्ति बनने
को मजबूर होंगे... क्या आपने थर्ड फ्रंट को केजरीवाल रूपी चुनौती की कोई मीमांसा
देखी है... .. मीडिया इन संभावनाओं पर चुप्प क्यों है? जाहिर है मीडिया उसी राह पर
चलने की होशियारी कर रहा है जिस राह पर वो अन्ना आंदोलन के समय चला...याद करें
अन्ना के आंदोलन की अत्यधिक कवरेज कर ये जताया जा रहा था कि विपक्ष है ही कहां? ये
भी समझाया जा रहा था कि विपक्ष का रोल तो मीडिया अदा कर रहा है और अन्ना वो खाली
राजनीतिक स्पेस भरने आए हैं... </span><o:p></o:p></div>
<br />
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI; mso-bidi-theme-font: minor-bidi;">मीडिया की उस समय की
चतुराई जिसे खुश करने के लिए थी उसका प्रतिफल दिल्ली चुनाव के नतीजों के रूप में
सामने आए हैं... जिसे खुश होना चाहिए उसका लगभग सफाया.... अब फिर से वही
चालाकी...उधर बीजेपी के नेता मीडिया के झांसे में आने की लगातार नादानी कर रहे
हैं...लिहाजा इस देश के आम लोग जो व्यवस्था परिवर्तन के विमर्श के फोकस में आने की
उम्मीद पाले बैठे हैं उन्हें आने वाले समय में घोर निराशा होगी...आप कितने भी
वायदे निभाए... अब चर्चा राजनीतिक शुचिता के प्रतीकों को बनाए रखने पर नहीं
होगी.... और न ही ग्राम स्वराज के आदर्शों की बारीकियों पर कहीं नजर जमाई जाएगी...
जिस कारण आप के होने का महत्व है वो दृष्य से ओझल रहेगा। <o:p></o:p></span></div>
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-10890435612255398232013-12-24T00:38:00.002-08:002013-12-24T00:38:38.933-08:00अथ हवा कथा---पाकिस्तान से होकर आती है पछिया हवा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI;">अथ हवा कथा---पाकिस्तान से होकर आती है पछिया हवा </span></div>
<div class="MsoNormal">
---------------------------------------------------------------- </div>
<div class="MsoNormal">
संजय मिश्र
</div>
<div class="MsoNormal">
----------------- </div>
<br />
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI;">नीतीश कुमार हवा से परेशान हैं... एलर्जी की हद तक... रह रह कर
उलाहना...उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए भी अपने इस दुख का इजहार कर गए
वे.... प्रकृति भी सोच में पड़ गई हो कि
बेचारे हवा से ऐसा कौन सा अपराध हो गया है... जब तक मामला मशीनी हवा (ब्लोअर वाली)
में उलझा था तब तक वो इसे इनसानी लीला समझती होगी... पर अबकी निशाना पछवा (पछिया)
हवा पर है... प्रकृति का संशय में आना स्वाभाविक... चलिए कुछ पल के लिए उन्हें
छोड़ते हैं....</span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI;">बात समाचार ये है कि नीतीश कुमार ने पहले इतिहास के प्रोफेसर की
भूमिका ओढ़ ली थी... और अब वे भूगोल या फिर पर्यावरण विज्ञान पढ़ाने निकले हैं देश
को. ...सच में गर्मी में ये पछिया हवा लू बनकर डराती है... और जब जाड़े का समय हो
तो कोल्ड स्ट्रोक का खतरा मंडराता है... इतना तक तो ठीक है पर चिकित्सा विज्ञानी ये
भी कहते कि पछिया हवा निरोगी है... इस बात को नीतीश छुपा ले जाते हैं ...नीतीश इस बात को भी छुपा लेते हैं कि पछिया हवा पाकिस्तान से होकर आती है.... </span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI;">अब आप
सोच रहे होंगे कि पुरबा हवा की बारी कब आएगी</span>? <span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI;">इत्मिनान रखिए चुनाव तक ऐसा होने
वाला नहीं है... लिहाजा आपसे ये नहीं कहा जाएगा कि पुरबा हवा रोग लेकर आती है...
अब आप क्लाइमेक्स सुनें.... जब पुरबा और पछवा हवा मिलती है तो बारिश होती है...
खूब अनाज उपजता है... भुखमरी से निजात का मंसूबा बांधा जाता है... देश ...समाज
उत्फुल्ल हो उठता है... खर्च करने का मन भी करने लगता है... ये सब देख उद्योग जगत
मुस्कराता है.... </span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI;"><br /></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI;">आप सोच रहे होंगे कि ये कौन सी पहेली है... खुद निर्णय ले लीजिए
आप.... बस पछिया की तरफ से मोदी समझिए और पुरबा का प्रतीक नीतीश को मान लें...
चुनाव २०१४ तक नीतीश ज्ञान की मीमांसा करते रहें... खुदा-न-खास्ता त्रिशंकु की
नौबत आई तो पछिया हवा से पुरबा हवा का मिलन तो न हो पर लिव इन रिलेशन की आकुलता के
दर्शन होंगे... आखिर समझदार लोग कहते फिरते हैं कि राजनीति संभावना का खेल है ...
हिम पर्वत पर विराजमान इंडिया के लोगों के धर्म वाले अराध्य पुरूष और प्रकृति
राजनीति रूपी पछिया और पुरबा हवा की मचलती इस केलि क्रीड़ा को तब निहार रहे
होंगे... बस शेष इस पोस्ट को पढ़नेवाले अनुमान लगा लें... जोड़ लें और घटा भी
लें...</span></div>
<div class="MsoNormal">
<span lang="HI" style="font-family: Mangal; mso-bidi-language: HI;"><br /></span></div>
</div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-37748389897752354462013-12-08T09:07:00.000-08:002013-12-08T09:07:05.826-08:00अहंकार का पराभव... <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="MsoNormal">
<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;">अहंकार का पराभव (त्वरित टिपण्णी) </span></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;">---------------------- </span></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;">संजय मिश्र </span></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;">-------------------</span></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;">गैरकांग्रेसवाद (नरेन्द्र मोदी के शब्दों में कांग्रेस मुक्त भारत) एक बार फिर दस्तक दे चुका है... विभिन्न राज्यों के चुनावी नतीजे यही संकेत कर रहे हैं... कांग्रेस के हौसले पस्त हैं.... हाल के सालों में बीजेपी की जो डाउनस्लाइड देखी गई वो थमी है और इसके उपर जाने के आसार बन रहे हैं... .. कांग्रेस की घटत और बीजेपी की बढ़त उन जगहों पर हुई है जहां कांग्रेस ब्रांड सेक्यूलरिस्ट ये आरोप नहीं लगा सकते कि ये दंगों से उपजे पोलराइजेशन का कमाल है। </span></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;"><br /></span></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;">एक बड़ा सबक जेडीयू को मिला है... नीतीश और उनका पूरा मंत्रीमंडल कई दिनों तक दिल्ली में कैंप किए रहा... आम आदमी पार्टी से ज्यादा खर्च और केंपेन के बावजूद जनता ने उन्हें खारिज किया है... संदेश यही कि कांग्रेस के साथ नीतीश जाएंगे तो नकारे जाएंगे... दिलचस्प है कि दिल्ली में बिहार के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं और वहां वोटर हैं...बिहारियों का ये मानस चौंकाता है... बिहार के अधिकांश लोग लालू एरा के शुरूआती चरण में ही दिल्ली चले गए थे और इनमें कांग्रेस के लिए वो तल्खी नहीं रही जो बिहार में रह रहे उनके परिजनों की रहती है... बावजूद इसके नीतीश की महत्वाकांक्षा को पर लगने का मौका नहीं दिया दिल्ली के लोगों ने... नीतीश की पराजय इस मायने में भी है कि वो मायावती की बीएसपी वाली परफारमेंस (दिल्ली के पिछले चुनाव में) तक नहीं पहुंच सके। </span></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;"><br /></span></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;">महंगाई का डंक और उपर से कांग्रेसी नेताओं के जले पर नमक छिड़कने वाले बयानों का हिसाब चुकता करने वाली जनता ने केजरीवाल को सर आंखों पर बिठाया है...कांग्रेस के अहंकार को शिकस्त मिली है... अप्रत्याशित और पॉलिटिकल क्लास को डराने वाले आंदोलनों का गवाह रही दिल्ली की जनता ने उन आंदोलनों को निर्ममता से कुचलने की कांग्रेसी निरंकुशता का जवाब भी दिया है... न जाने राजबाला की आत्मा कैसा महसूस कर रही हो.... जो पॉलिटिकल अनालिस्ट उन आंदोलनों को मीडिया का क्रिएशन बता कर खारिज कर रहे थे उन्हें भी सीमित संदर्भ में वोटरों ने जवाब दिया है। </span></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;"><br /></span></span></div>
<div class="MsoNormal">
<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;">निश्चय ही केजरीवाल ने भारतीय राजनीति को नया नजरिया और नई ग्रामर दी है... ये आंदोलन के समय से लेकर चुनावी समर के नतीजों तक में उन्होंने दिखाया है... सभी जानते हैं कि अन्ना को केजरीवाल की मेहनत से वो शोहरत मिली जिसने उनमें गांधी का अक्स ताकने के लिए आज की युवा पीढ़ी को ललचाया...राष्ट्रीय फलक पर अन्ना सबके चहेते बने...नतीजों के बीच केजरीवाल को जो पॉलिटिकल पंडित सेहरा देने को मजबूर हुए हैं वो कल तक आम आदमी पार्टी को नकारते रहे... आज भी ये वर्ग यही साबित करने पर तुला है कि आप ने सेक्यूलर स्पेस को मजबूती दी है... बावजूद इसके कि आप राष्ट्रवादी स्पेस की शक्ति है... यही लोग आरएसएस से आप के लिंक को खोजते रहते थे... इस बात को छुपाते हुए कि आंदोलन के समय अन्ना के लोगों को माओवादियों ने भी ऑन रिकार्ड समर्थन दिए थे।</span></span></div>
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<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;"><br /></span></span></div>
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<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;">दिल्ली सिटी एस्टेट जैसा है... संभव है लोकसभा चुनावों के समय केजरीवाल ग्रामीण भारत में वैसा चमत्कार नहीं दुहरा पाएं... पर राजनीति को बदलने लायक मिजाज लोगों में विकसित जरूर कर दिया है...उनके आलोचक कहते कि मुद्दों के आधार पर लंबी पारी नहीं खेली जा सकती.... यानि विचारधारा या फिर वैचारिक आधार होना जरूरी है...आप के नेताओं पर यकीन करें तो उनका वैचारिक आधार ग्राम स्वराज की कल्पना को नए संदर्भ में परिभाषित करना है... ग्राम स्वराज शब्द पर फोकस पड़ेगा और ये कांग्रेस को डराएगा जबकि बीजेपी को सचेत रखेगा... सोनिया नतीजों के बाद ये कहने को मजबूर थीं कि सही समय पर पीएम उम्मीदवार का एलान होगा तो राहुल ने आप से सबक सीखने की शालीनता दिखाई....आप के कारण राजनीति का तात्विक अंतर बीजेपी को दिल्ली की तरह (हर्षवर्द्धन को सीएम उम्मीदवार बनाने जैसे कदम) मजबूर करेगा कि ये - पार्टी विद अ डिफरेंस - की अपेक्षाकृत ज्यादा स्वीकार्य छवि की ओर लौटे... गडकरी ने आठ दिसंबर की शाम जब कहा कि बीजेपी विपक्ष में बैठना पसंद करेगी... तो एक अर्थ में ये आप की राजनीति के असर को स्वीकारना भी है...बरना कांग्रेस की नापसंदगी का फायदा तीसरे मोर्चे का समूह भी उठा ले जाएगा।</span></span></div>
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<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;"><br /></span></span></div>
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<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;"><br /></span></span></div>
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<span style="color: #37404e; font-family: Mangal; font-size: x-small;"><span style="line-height: 14px;"><br /></span></span></div>
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sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-7910871545615350572.post-39199687630320291672013-11-19T09:26:00.003-08:002013-11-19T09:26:57.083-08:00शह और मात के बीच चुनावी समर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="color: #333333; font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: x-small;"><span style="line-height: 17px;">शह और मात के बीच चुनावी समर
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<span style="color: #333333; font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: x-small;"><span style="line-height: 17px;">------------------------------------
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<span style="color: #333333; font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: x-small;"><span style="line-height: 17px;">संजय मिश्र
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<span style="color: #333333; font-family: lucida grande, tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: x-small;"><span style="line-height: 17px;">-------------- </span></span><br />
<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;">बड़े ही रोचक दौर में आ गया है चुनावी समर.... एक तरफ बयान और आरोप नीचता की पराकाष्ठा की तरफ सरक रहे हैं तो दूसरी ओर राजनीतिक शुचिता और नैतिकता पर भी विमर्श हो रहा है... पहली श्रेणी की तल्ख सच्चाई है कि ये इस देश के लोगों को उस हद तक शर्मशार करेगी कि उन्हें कान बंद करने पड़ेंगे.... माधुरी प्रकरण पर जिस तेजी से कांग्रेस आगे बढ़ रही है... वो खतरनाक ही नहीं है बल्कि किसी दिन यूपी से लेकर स्पेन तक के पट खुलने की क्षमता रखते... ... दोनों प्रमुख दलों के अलावे क्षेत्रीय दलों ने मुंह खोला तो फिर पेंडोरा बॉक्स खुल जाएगा... बिहार के लोग नीतीश के संबंध में राबड़ी के बयानों को याद करवाएंगे तो कर्पूरी ठाकुर के संजय गांधी बोटेनिकल गार्डेन तक की यात्रा आपको करनी पड़ सकती है... ऐसा अन्य राज्यों में भी हो सकता है... आप पर नेताओं को रहम न आया तो बात बढ़ते-बढ़ते नेहरू से गांधी तक पहुंच जा सकता है... ये अत्यधिक खतरनाक खेल होगा... न जाने कांग्रेस को ऐसी सलाह कौन दे रहा है?... </span><br />
<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;"><br /></span>
<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;">दूसरी तरफ का नजारा थोड़ी उम्मीद जगाता है... अन्ना की चिट्ठी प्रकरण से लोगों को गांधी और नेहरू के बीच के रिश्ते जैसी महक आ रही होगी... ... गांधी ने कहा था कि कांग्रेस राजनीति छोड़े और गांवों में जाकर काम करे... अन्ना और केजरीवाल के बीच का मतभेद उसी तरह का है....बेशक जिस तरह कांग्रेस और समाजवादी दलों के नेताओं को गांधी और जेपी के आंदोलन को याद करने का अधिकार है उसी तरह आप पार्टी के नेताओं को अन्ना के आंदोलन की विरासत को याद करने का अधिकार है..... लेकिन इसकी आशंका भी हो सकती है कि कांग्रेस और समाजवादी दलों ने जिस तरह उन आंदोलनों की आत्मा से खिलवाड़ किया उसी तरह आप पार्टी भी अन्ना आंदोलन की विरासत से बाद में भटक जाए...</span><br />
<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;"><br /></span>
<span style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 17px;">इन दोनों परिदृष्य के बीच चिंताजनक पहलू ये है कि २०१४ के चुनाव में अभी लंबा वक्त है और उम्मीद के पहलू कहीं कीटड़ उछाल राजनीति में दब न जाएं... वोटर के लिए बड़ी चुनौती है सामने ...</span></div>
sanjay mishrahttp://www.blogger.com/profile/05519303415967930259noreply@blogger.com0