गजेन्द्र हंसा भी था ....
-----------------------
संजय मिश्र
---------------------
मां जनती है... संतान के लिए उसकी ममता विवेक नहीं देखती... एक रिपोर्टर (पत्रकार) जब अपनी खबर फाइल कर देता है तो उसे प्रसव पीड़ा के बाद के संतोष जैसा ही महसूस होता है... किसान खेत में जब लहलहाती फसल देखता है तो वो उस मां की तरह खिल जाता है.. जो अपने उठे हुए पेट देख छुइ-मुइ सी रहती है... फसल पर कोई आफत आ जाए तो वह किसान मिसकैरेज वाली पीड़ा के आगोश में चला जाता है...
इंडिया में ओले और पानी के कारण फसल बर्बाद होने पर लोगों का ध्यान कई दिनों से टंगा हुआ है... पर दर्द जतन से झांक नहीं पाया ... राजस्थान के गजेन्द्र ने जो लीला दिखाई... अपनी ईहलीला समाप्त कर... उसने किसान की पीड़ा के वीभत्स रूप से सामना करवा दिया... जो भी सार्वजनिक चेहरे इस मुद्दे पर स्टेकहोल्डर बनने को आतुर थे... सबका चेहरा उतर गया...
पीएम बस ट्वीट कर पाए... राहुल का मुंह लटक गया... केजरीवाल जीवन भर आंखों के सामने मौत को गले लगाने वाले उन दृष्यों को भुला नहीं पाएंगे... अपने वलंटियर की मौत रूपी अपने अभाग्य को कोसते रहेंगे...घुट-घुट कर... नीतीश भाग-भाग कर बिहार के विभिन्न इलाकों में ओले, आंधी, तूफान से हुई बर्बादी को देख रहे... सारे बयानवीर निस्तेज बने बैठे हैं...
देश मदहोश था... जमीन बिल और फसल बर्बादी जैसे निहायत ही दो अलग अलग किस्म के मुद्दों के फेट-फांट पर... गजेन्द्र ने चेता दिया कि सुधीजन फसल बर्बादी पर धाती पीटने का अभिनय कर लें या फिर जमीन बिल पर... पेड़ पर चढे गजेन्द्र के विजुअल्स को याद करें... फिर-फिर से देखें... वो एक दो बार हंसा भी था... वो हंसी किसान के नाम पर रोने वालों के अभिनय देख निकल आए थे या फिर वो जीवन के मजाक बनने पर फूट निकला था... ?
मोदी महीने भर से अपने नेताओं को कह रहे कि जनता को हकीकत बताई जाय... कब बताएंगे किसी को नहीं मालूम... जमीन बिल पर बताएंगे या फसल तबाही पर ये भी स्पष्ट नहीं ? ... पेड़ पर लटके किसान ने कह दिया है कि फसल की हालत देखकर किसान अधीर हो चला है...
राहुल अवतरित हुए.... किसानों के दर्द पर संसद में बिना लिखा भाषण दिया... उंचे स्वर में बोले... नहीं मालूम कि इंडिया के किसानों ने उनके संबोधन में अपनी पीड़ा को छलकते देखा या नहीं... पर संसद से निकलने के बाद मीडिया के सवाल ने देश को चौंकाया होगा--- राहुलजी आपका भाषण कैसा था--- राहुल ने भी बिना समय गंवाए कहा--- भाषण अच्छा रहा-- तो क्या राहुल परीक्षा देने गए थे? ... और खुद अपनी परीक्षा का नतीजा भी बता दिया...
भाषण से पहले राहुल के घर के सामने किसानों का जमावड़ा... किसान के पहनावे में खड़े कई लोगों के हाथों में तख्ती थी जिसमें राहुल के फोटो लगे थे... फसल चौपट होने से गमजदा किसान तख्ती लेकर घूमेगा क्या?.. संसद के भाषण के बाद सोनिया के आवास पर फोटो सेशन... मिसकैरेज से गुजरने वाले किसान के लिए फोटो सेशन?... संजीदगी का कौन सा ग्रामर लिख रहे थे कांग्रेसी?
तबाही हुई तो मुआवजा मिलेगा...पहले भी ऐसा ही होता रहा... इस दफा भी... जाहिर है मुआवजा राज्य सरकारें बांटेंगी... पर किसानों के नाम पर पूरे राष्ट्रीय विमर्श में राज्य सरकारों पर कोई प्रहार नहीं... संसद में किसानों की आत्महत्या से जुड़े राज्यवार आंकड़े जब देश के कृषि मंत्री ने रखना शुरू किया तो राहुल अपने नेताओं को लेकर संसद से निकल गए... असल में अधिकांश राज्यों ने जो रिपोर्ट भेजी है उसमें आत्महत्या से इनकार किया गया है... यूपी की रिपोर्ट भी यही कह रही थी... पर मुलायम पत्रकारों से किसान की समस्या पर निर्लज्ज होकर प्रवचन झाड़ रहे थे...
मुआवजा ब्लाक स्तर पर बंटेगा .... बंट रहा होगा... उस पर निगाहें घूमने में दिक्कत साफ देखी जा रही है... बिहार में नंगे होकर प्रदर्शन हुए... खेत में लगी गेंहूं की फसल को किसानों ने अपने हाथ से आग लगाई... स्त्रियों के भूगोल में रूचि रखने वाले शरद यादव मुखर नहीं हुए... नीतीश और लालू भी नहीं... न जाने पूर्व पीएम और किसी जमाने में किसान नेता रहे देवगौड़ा क्या कर रहे होंगे ...
दिलचस्पी मुआवजे पर है या पीएम मोदी की लानत-मलानत पर? ... गजेन्द्र अपनी सिसकी को दबाकर शायद इसी राजनीतिक सोप-ओपेरा पर हंस रहा होगा... येचुरी भी उसे देखने अस्पताल हो आए... उसके ओठों में इसी सोप-ओपेरा पर निकले अट्टहास को लाज से पढने गए हों...
-----------------------
संजय मिश्र
---------------------
मां जनती है... संतान के लिए उसकी ममता विवेक नहीं देखती... एक रिपोर्टर (पत्रकार) जब अपनी खबर फाइल कर देता है तो उसे प्रसव पीड़ा के बाद के संतोष जैसा ही महसूस होता है... किसान खेत में जब लहलहाती फसल देखता है तो वो उस मां की तरह खिल जाता है.. जो अपने उठे हुए पेट देख छुइ-मुइ सी रहती है... फसल पर कोई आफत आ जाए तो वह किसान मिसकैरेज वाली पीड़ा के आगोश में चला जाता है...
इंडिया में ओले और पानी के कारण फसल बर्बाद होने पर लोगों का ध्यान कई दिनों से टंगा हुआ है... पर दर्द जतन से झांक नहीं पाया ... राजस्थान के गजेन्द्र ने जो लीला दिखाई... अपनी ईहलीला समाप्त कर... उसने किसान की पीड़ा के वीभत्स रूप से सामना करवा दिया... जो भी सार्वजनिक चेहरे इस मुद्दे पर स्टेकहोल्डर बनने को आतुर थे... सबका चेहरा उतर गया...
पीएम बस ट्वीट कर पाए... राहुल का मुंह लटक गया... केजरीवाल जीवन भर आंखों के सामने मौत को गले लगाने वाले उन दृष्यों को भुला नहीं पाएंगे... अपने वलंटियर की मौत रूपी अपने अभाग्य को कोसते रहेंगे...घुट-घुट कर... नीतीश भाग-भाग कर बिहार के विभिन्न इलाकों में ओले, आंधी, तूफान से हुई बर्बादी को देख रहे... सारे बयानवीर निस्तेज बने बैठे हैं...
देश मदहोश था... जमीन बिल और फसल बर्बादी जैसे निहायत ही दो अलग अलग किस्म के मुद्दों के फेट-फांट पर... गजेन्द्र ने चेता दिया कि सुधीजन फसल बर्बादी पर धाती पीटने का अभिनय कर लें या फिर जमीन बिल पर... पेड़ पर चढे गजेन्द्र के विजुअल्स को याद करें... फिर-फिर से देखें... वो एक दो बार हंसा भी था... वो हंसी किसान के नाम पर रोने वालों के अभिनय देख निकल आए थे या फिर वो जीवन के मजाक बनने पर फूट निकला था... ?
मोदी महीने भर से अपने नेताओं को कह रहे कि जनता को हकीकत बताई जाय... कब बताएंगे किसी को नहीं मालूम... जमीन बिल पर बताएंगे या फसल तबाही पर ये भी स्पष्ट नहीं ? ... पेड़ पर लटके किसान ने कह दिया है कि फसल की हालत देखकर किसान अधीर हो चला है...
राहुल अवतरित हुए.... किसानों के दर्द पर संसद में बिना लिखा भाषण दिया... उंचे स्वर में बोले... नहीं मालूम कि इंडिया के किसानों ने उनके संबोधन में अपनी पीड़ा को छलकते देखा या नहीं... पर संसद से निकलने के बाद मीडिया के सवाल ने देश को चौंकाया होगा--- राहुलजी आपका भाषण कैसा था--- राहुल ने भी बिना समय गंवाए कहा--- भाषण अच्छा रहा-- तो क्या राहुल परीक्षा देने गए थे? ... और खुद अपनी परीक्षा का नतीजा भी बता दिया...
भाषण से पहले राहुल के घर के सामने किसानों का जमावड़ा... किसान के पहनावे में खड़े कई लोगों के हाथों में तख्ती थी जिसमें राहुल के फोटो लगे थे... फसल चौपट होने से गमजदा किसान तख्ती लेकर घूमेगा क्या?.. संसद के भाषण के बाद सोनिया के आवास पर फोटो सेशन... मिसकैरेज से गुजरने वाले किसान के लिए फोटो सेशन?... संजीदगी का कौन सा ग्रामर लिख रहे थे कांग्रेसी?
तबाही हुई तो मुआवजा मिलेगा...पहले भी ऐसा ही होता रहा... इस दफा भी... जाहिर है मुआवजा राज्य सरकारें बांटेंगी... पर किसानों के नाम पर पूरे राष्ट्रीय विमर्श में राज्य सरकारों पर कोई प्रहार नहीं... संसद में किसानों की आत्महत्या से जुड़े राज्यवार आंकड़े जब देश के कृषि मंत्री ने रखना शुरू किया तो राहुल अपने नेताओं को लेकर संसद से निकल गए... असल में अधिकांश राज्यों ने जो रिपोर्ट भेजी है उसमें आत्महत्या से इनकार किया गया है... यूपी की रिपोर्ट भी यही कह रही थी... पर मुलायम पत्रकारों से किसान की समस्या पर निर्लज्ज होकर प्रवचन झाड़ रहे थे...
मुआवजा ब्लाक स्तर पर बंटेगा .... बंट रहा होगा... उस पर निगाहें घूमने में दिक्कत साफ देखी जा रही है... बिहार में नंगे होकर प्रदर्शन हुए... खेत में लगी गेंहूं की फसल को किसानों ने अपने हाथ से आग लगाई... स्त्रियों के भूगोल में रूचि रखने वाले शरद यादव मुखर नहीं हुए... नीतीश और लालू भी नहीं... न जाने पूर्व पीएम और किसी जमाने में किसान नेता रहे देवगौड़ा क्या कर रहे होंगे ...
दिलचस्पी मुआवजे पर है या पीएम मोदी की लानत-मलानत पर? ... गजेन्द्र अपनी सिसकी को दबाकर शायद इसी राजनीतिक सोप-ओपेरा पर हंस रहा होगा... येचुरी भी उसे देखने अस्पताल हो आए... उसके ओठों में इसी सोप-ओपेरा पर निकले अट्टहास को लाज से पढने गए हों...