सितंबर तक बंद हो जाएँगे बिहार के सभी बाल वर्ग केंद्र
संजय मिश्र
बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से संचालित राज्य के सभी बाल वर्ग केंद्र सितंबर तक बंद कर दिए जाएँगे। राज्य सरकार के कर्ता -धर्ताओं ने परियोजना को इस मुतल्लिक संकेत दे दिए हैं। बिहार शिक्षा परियोजना ( सर्व शिक्षा अभियान ) के वरीय अधिकारियों ने भी अपने तरीके से निशाने पर आए कर्मियों तक सन्देश भिजवा दिया है। यानि इन केन्द्रों से जुड़े साढ़े पांच हजार महिला कर्मियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। भारतीय मजदूर संघ ने सरकार के इस कदम का कड़ा प्रतिवाद करने की ठानी है।
संघ की अनुषांगिक इकाई बाल वर्ग दीदी एवं सुपर-वाईजर संघ ने 23 जुलाई को पटना के आर-ब्लाक चौराहा पर जोरदार प्रदर्शन की तैयारी पूरी कर ली है। सुपर-वाईजर संघ की राज्य संयोजिका मंजू चौधरी का कहना है कि एक तरफ शिक्षा का अधिकार कानून में पूर्व बालपन शिक्षा पर जोर दिया गया है जबकि दूसरी तरफ चल रहे इस तरह के केंद्र बंद करने की केंद्र की साजिश के आगे राज्य सरकार झुक रही है। बाल वर्ग दीदी संघ की राज्य संयोजिका इंदु कुमारी ने हैरानी जताते हुए कहा कि एक दशक से भी ज्यादा समय से काम कर रही 5320 बाल वर्ग दीदी के पेट पर लात मारा जा रहा है वहीं महिलाओं की आवाज बुलंद करने वाली राज्य सरकार चुप्पी साधे हुए है।
भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री धीरेन्द्र प्रसाद सिंह ने इन ख़बरों की पुष्टि करते हुए कहा कि परियोजना के अधिकारियों ने उनसे इस संबंध में संपर्क साधा था। संघ नेता ने साफ़ किया कि बाल वर्ग दीदी को शिक्षिका का दर्जा दिलाने के लिए वे आंदोलनरत रहेंगे। दरअसल सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक पुर्व बालपन शिक्षा के जिला समन्वयकों को राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी संजीव कुमार के साथ 26 जून को पटना में हुई बैठक में ही कह दिया गया कि सितंबर तक बाल वर्ग केन्द्रों को बोरिया-बिस्तर समेटना होगा।
सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार आंगनबाडी केन्द्रों को ज्यादा तवज्जो देना चाहता है साथ ही बाल वर्ग केन्द्रों के लिए प्रति जिला 35 लाख के सालाना बजट की बचत करना चाहता है। आपको बता दें कि बाल वर्ग केन्द्रों के लिए केंद्र 65 फीसदी हिस्सा वहन करता है जबकि राज्य सरकार बाकि के 35 फीसदी खर्च को वहन करती है। दिलचस्प है कि इसी साल अप्रैल में बाल वर्ग दीदी के मानदेय एक हजार से बढ़ा कर तीन हजार किये गए वहीं सुपर-वाइजरों का मानदेय डेढ़ हजार से बढ़ा कर साढ़े तीन हजार किया गया। सूत्र ये भी बताते हैं कि पुर्व बालपन शिक्षा के तहत दो अन्य कार्यक्रम महादलित उत्थान केंद्र और तालीमी मरकज केंद्र चलते रहेंगे।
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संजय मिश्र
बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से संचालित राज्य के सभी बाल वर्ग केंद्र सितंबर तक बंद कर दिए जाएँगे। राज्य सरकार के कर्ता -धर्ताओं ने परियोजना को इस मुतल्लिक संकेत दे दिए हैं। बिहार शिक्षा परियोजना ( सर्व शिक्षा अभियान ) के वरीय अधिकारियों ने भी अपने तरीके से निशाने पर आए कर्मियों तक सन्देश भिजवा दिया है। यानि इन केन्द्रों से जुड़े साढ़े पांच हजार महिला कर्मियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। भारतीय मजदूर संघ ने सरकार के इस कदम का कड़ा प्रतिवाद करने की ठानी है।
संघ की अनुषांगिक इकाई बाल वर्ग दीदी एवं सुपर-वाईजर संघ ने 23 जुलाई को पटना के आर-ब्लाक चौराहा पर जोरदार प्रदर्शन की तैयारी पूरी कर ली है। सुपर-वाईजर संघ की राज्य संयोजिका मंजू चौधरी का कहना है कि एक तरफ शिक्षा का अधिकार कानून में पूर्व बालपन शिक्षा पर जोर दिया गया है जबकि दूसरी तरफ चल रहे इस तरह के केंद्र बंद करने की केंद्र की साजिश के आगे राज्य सरकार झुक रही है। बाल वर्ग दीदी संघ की राज्य संयोजिका इंदु कुमारी ने हैरानी जताते हुए कहा कि एक दशक से भी ज्यादा समय से काम कर रही 5320 बाल वर्ग दीदी के पेट पर लात मारा जा रहा है वहीं महिलाओं की आवाज बुलंद करने वाली राज्य सरकार चुप्पी साधे हुए है।
भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री धीरेन्द्र प्रसाद सिंह ने इन ख़बरों की पुष्टि करते हुए कहा कि परियोजना के अधिकारियों ने उनसे इस संबंध में संपर्क साधा था। संघ नेता ने साफ़ किया कि बाल वर्ग दीदी को शिक्षिका का दर्जा दिलाने के लिए वे आंदोलनरत रहेंगे। दरअसल सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक पुर्व बालपन शिक्षा के जिला समन्वयकों को राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी संजीव कुमार के साथ 26 जून को पटना में हुई बैठक में ही कह दिया गया कि सितंबर तक बाल वर्ग केन्द्रों को बोरिया-बिस्तर समेटना होगा।
सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार आंगनबाडी केन्द्रों को ज्यादा तवज्जो देना चाहता है साथ ही बाल वर्ग केन्द्रों के लिए प्रति जिला 35 लाख के सालाना बजट की बचत करना चाहता है। आपको बता दें कि बाल वर्ग केन्द्रों के लिए केंद्र 65 फीसदी हिस्सा वहन करता है जबकि राज्य सरकार बाकि के 35 फीसदी खर्च को वहन करती है। दिलचस्प है कि इसी साल अप्रैल में बाल वर्ग दीदी के मानदेय एक हजार से बढ़ा कर तीन हजार किये गए वहीं सुपर-वाइजरों का मानदेय डेढ़ हजार से बढ़ा कर साढ़े तीन हजार किया गया। सूत्र ये भी बताते हैं कि पुर्व बालपन शिक्षा के तहत दो अन्य कार्यक्रम महादलित उत्थान केंद्र और तालीमी मरकज केंद्र चलते रहेंगे।
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