संजय मिश्र -- २३-०१-१२
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मधुबनी की झोली कितनी बड़ी है ....... क्या आपको अनुमान है उसकी जरूरतों और आकांक्षा की ? उम्मीद कर सकते हैं कि आपका जवाब ना में ही होगा । १९ जनवरी २०१२--शाम होते-होते मधुबनी के लोग हैरानी से भर उठे । सेवा यात्रा की कवरेज दिखा रहे एक रीजनल न्यूज चैनल की स्क्रीन पर लगातार एक टेक्स्ट फ्लैश हो रहा था । इसमें लिखा था--मधुबनी हुई मालामाल। असल में ४.३ अरब की योजनाओं के शिलान्यास के मद्देनजर ये कहा जा रहा था। अगले दिन बिहार में सर्वाधिक रीडरशिप का दावा करने वाले एक अखवार की हेडलाइन देख वे अचम्भे में पड़ गए। इसमें कहा गया कि --मधुबनी की भर गई झोली। शहरवासी एक दूसरे से तजबीज करते दिखे कि क्या वाकई उनकी झोली भर गई ?
आम दर्शक या पाठक मीडिया घरानों की परदे के पीछे की हलचल से अनजान होते...लिहाजा उनकी उलझन समझी जा सकती है। लेकिन इन घरानों में काम करने वाले पत्रकार भी हैरान थे....ख़ास कर टीवी पत्रकार। उन्हें पता है कि सेवा यात्रा से जुड़े विज्ञापनों की बंदरबांट में टीवी चैनलों को ठेंगा दिखाया गया है...जबकि अखबारों पर विशेष कृपा की गई। यही कारण है कि सेवा यात्रा के कवरेज में अधिकाँश न्यूज चैनल एंटी इस्तैब्लिस्मेंट मोड में हैं। विज्ञापन की माया के बावजूद ये समझना मुश्किल है की मधुबनी की उम्मीदों का अंदाजा इन संपादकों ने कैसे लगाया?
दरअसल नीतीश बंदना की कोशिश में ये बताया गया मानो मधुबनी का अब कल्याण होने वाला है। लेकिन जमीनी हकीकत इनका मूंह चिढाने के लिए काफी है। यात्रा के दौरान बलिराजगढ़ में मुख्यमंत्री को ये अहसास हो गया कि जिले के ऐतिहासिक धरोहरों की घनघोर उपेक्षा हुई है। स्थानीय लोग इस उपेक्षा को पहचान मिटाने की साजिश का हिस्सा मानते हैं। खुली आँखों से गढ़ को निहारते नीतीश कुमार को अंदाजा हो रहा था कि बिहार में गया, नालंदा और वैशाली से आगे भी संभावनाएं मौजूद हैं। मधुबनी जिले में खुदाई की बाट जोह रहे ऐसे कई पुरातात्विक स्थल हैं जो वैदिक काल तक की कहानी कहने में सक्षम हैं।
मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर लोगों का गद-गद होना स्वाभाविक है लेकिन फ़रियाद लेकर जनता दरबार में पहुचने के लिए हंगामा करने वालों की तादाद बहुत कुछ कह रही थी। मुख्यमंत्री तक नहीं पहुँच पाए ऐसे लोगों के विदीर्ण चेहरे आभास कर रहे थे कि ख़राब माली हालत देर-सवेर उन्हें पलायन करने वालों की भीड़ में धकेलेगी....और अपने सामाजिक सन्दर्भों से दूर ले जाएगी। जहाँ इनमें से कई लोग गलत संगत में भी पड़ेंगे। आतंकवादियों के चंगुल में फंसे जिले के पांच लोगों की दास्तान मधुबनीवासियों को साल रही है।
इस जिले में पलायन नासूर बन गया है। इसकी मारक क्षमता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दरभंगा स्टेशन से खुलने वाली लम्बी दूरी की अधिकाश ट्रेनों का एक्सटेंसन जयनगर तक कर दिया गया है। सघन जन्संख्यां और बाढ़ की विभीषिका पलायन के ताप को बढाती है। उपजाऊ मिट्टी और सिंचाई के लिहाज से जमीन का बेहतरीन ढाल इस इलाके को खेती के लिए बेहद अनुकूल बनाता है। लेकिन पांच दशक से निर्माणाधीन पश्चिमी कोसी नहर यहाँ के लोगों के लिए सपना बना हुआ है। क्या सेवा यात्रा में इस महत्वाकांक्षी परियोजना को पूरा करने का संकल्प है ?
कई बार अकाल की मार झेल रहे इस इलाके में सेकेंडरी सेक्टर का हाल बेहाल है। बिजली सप्लाई में मधुबनी प्राथमिकता सूची से कोसों दूर है। नतीजतन उद्योग -धंधों का विकास चौपट है। पंडौल इंडस्ट्रियल एरिया में चिमनियाँ सालों से बुझी पडी हैं। जिले की बंद चीनी मीलों के खुलने की खबर सुन-सुन कर लोग थक चुके हैं। जिन लोगों को बिहार में इन्फ्रास्त्रक्चार के विकास पर गुमान हो उन्हें इस जिले से गुजरने वाली एन एच १०५ पर एक बार जरूर सफ़र कर लेना चाहिए।
अकाल ने ही मिथिला पेंटिंग का परिचय व्यावसायिक दुनिया से कराया था। दो सालों से मिथिला पेंटिंग संस्थान खोलने की बात कही जा रही है। नीतीश ने एक बार फिर इस वायदे को दुहराया है। ये संस्थान सौराठ में स्थापित होगा.....जी हाँ उसी सौराठ में जहां शादी के इच्क्षुक दूल्हों का मेला लगता है। लेकिन केंद्र से विशेष पॅकेज की मांग करने वाले नीतीश इस बात पर चुप्पी साध गए कि इसी जिले में तेल खुदाई के लिए ओ एन जी सी की ड्रीलिंग का काम क्यों ठप पडा है ? आपको बता दें की सौराठ गाँव में ही ओ एन जी सी का लाव-लश्कर महीनो तक रहा लेकिन रहस्यमई तरीके से ड्रीलिंग का काम रोक दिया गया।
सरकार के अनुसार जिले में करीब ४.३ अरब की ४६७ छोटी-बड़ी विकास योजनाओं का शिलान्यास हुआ । मधुबनी को समृद्ध बनाने वाले संपादक ज़रा नालंदा जिले के आंकड़ों पर गौर कर लें । राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं से अलग नालंदा जिले में स्थाई महत्त्व की करीब ७५० अरब की योजनाओं पर काम चल रहा है। इन आंकड़ों से भी मन न भरे तो ये संपादक मधुबनी के काशीनाथ उर्फ़ राधा-कान्त को याद कर लें जिसने तंगहाली में नगर-पालिका परिसर के सामने आत्म-दाह कर लिया था।