चिंता न करें जेठमलानी इसी देश में मिथिला भी है।
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संजय मिश्र
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जेठमलानी के राम संबंधी बयान को सप्ताह होने को आए पर कांग्रेस की खुशामद में रमे दिल्ली के पत्रकार खासकर टीवी पत्रकार पूरे रौ में हैं। कांग्रेसी आका खुश होंगे सो बीजेपी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इनमें वो चैनल भी लगे हैं जिनके ब्रांड बन चुके पत्रकार को उसी जेठमलानी ने बेइज्जत कर अपने घर से भगा दिया था। आज जेठमलानी उनके लिए हॉट केक हैं जो राम, हिन्दू जीवन शैली से कांग्रेस ब्रांड सेक्यूलरिज्म की खातिर अछूत सरीखा व्यवहार करती रही है। पत्रकारिता का तनिक भी ख़याल होता तो ये चैनल मिथिला में स्थित अपने किसी रिपोर्टर से लाइव करवा रहे होते। जेठमलानी अपने विचार पर मुग्ध हैं। न जाने उन्हें राम के संबंध में मिथिला की सोच का कितना अहसास है।
मिथिला में राम का ससुराल है। ये इलाका धर्म और आध्यात्म का बड़ा केंद्र रहने का आदर हासिल रखता है। कुछ दिलचस्प पहलू यहाँ रखे जा रहे हैं। राम के भगवान्, मर्यादा वाले चरित्र और जमाई --इन तीनों रूपों का अनूठा संगम मिथिला में दीखता है। आस्थावान लोग भगवान् या नारायण का रूप उनमें देख धन्य होते। वहीं जनमानस लोक हितवादी मर्यादा के लिए उन्हें उसी श्रधा से याद करते हैं। जमाई के रूप में भी वे स्तुत्य ही हैं। पर सीता माता को मिले कष्ट से द्रवित स्वर जब लोगों के मुख से निकलते तो लगता आसमान फटने वाली कहावत चरितार्थ हो जाती। तभी तो यहाँ विवाह पंचमी के दिन लोग अपनी बेटियों के ब्याह से कतराते हैं। इसी दिन सीता का विवाह हुआ था।
मिथिला की धरती पर कई साहित्यकारों ने राम कथा लिखी पर उनमें सीता की महानता को ज्यादा उकेरा गया। ये भी गौर करने वाली बात है कि कष्ट हरने के लिए विद्यापति नें कृष्ण और भोलेनाथ को अपनी पदावली में अधिक जगह दी। मिथिला में संभवतः राम के कारण ही जमाई को भगवान् की तरह आदर देने की परंपरा है। पर ये भी सच है कि भगवान् के रूप में राम के मंदिर मुश्किल से मिल जाएं। सीता के प्रति ममता के साथ ही राम के तीनों रूपों के साथ मिथिला सामंजस्य बिठाने की कोशिश करती रही है। जेठमलानी जी सीता के दुखों को महसूस करने के लिए मिथिला की तरफ से आपको धन्यवाद।
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संजय मिश्र
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जेठमलानी के राम संबंधी बयान को सप्ताह होने को आए पर कांग्रेस की खुशामद में रमे दिल्ली के पत्रकार खासकर टीवी पत्रकार पूरे रौ में हैं। कांग्रेसी आका खुश होंगे सो बीजेपी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इनमें वो चैनल भी लगे हैं जिनके ब्रांड बन चुके पत्रकार को उसी जेठमलानी ने बेइज्जत कर अपने घर से भगा दिया था। आज जेठमलानी उनके लिए हॉट केक हैं जो राम, हिन्दू जीवन शैली से कांग्रेस ब्रांड सेक्यूलरिज्म की खातिर अछूत सरीखा व्यवहार करती रही है। पत्रकारिता का तनिक भी ख़याल होता तो ये चैनल मिथिला में स्थित अपने किसी रिपोर्टर से लाइव करवा रहे होते। जेठमलानी अपने विचार पर मुग्ध हैं। न जाने उन्हें राम के संबंध में मिथिला की सोच का कितना अहसास है।
मिथिला में राम का ससुराल है। ये इलाका धर्म और आध्यात्म का बड़ा केंद्र रहने का आदर हासिल रखता है। कुछ दिलचस्प पहलू यहाँ रखे जा रहे हैं। राम के भगवान्, मर्यादा वाले चरित्र और जमाई --इन तीनों रूपों का अनूठा संगम मिथिला में दीखता है। आस्थावान लोग भगवान् या नारायण का रूप उनमें देख धन्य होते। वहीं जनमानस लोक हितवादी मर्यादा के लिए उन्हें उसी श्रधा से याद करते हैं। जमाई के रूप में भी वे स्तुत्य ही हैं। पर सीता माता को मिले कष्ट से द्रवित स्वर जब लोगों के मुख से निकलते तो लगता आसमान फटने वाली कहावत चरितार्थ हो जाती। तभी तो यहाँ विवाह पंचमी के दिन लोग अपनी बेटियों के ब्याह से कतराते हैं। इसी दिन सीता का विवाह हुआ था।
मिथिला की धरती पर कई साहित्यकारों ने राम कथा लिखी पर उनमें सीता की महानता को ज्यादा उकेरा गया। ये भी गौर करने वाली बात है कि कष्ट हरने के लिए विद्यापति नें कृष्ण और भोलेनाथ को अपनी पदावली में अधिक जगह दी। मिथिला में संभवतः राम के कारण ही जमाई को भगवान् की तरह आदर देने की परंपरा है। पर ये भी सच है कि भगवान् के रूप में राम के मंदिर मुश्किल से मिल जाएं। सीता के प्रति ममता के साथ ही राम के तीनों रूपों के साथ मिथिला सामंजस्य बिठाने की कोशिश करती रही है। जेठमलानी जी सीता के दुखों को महसूस करने के लिए मिथिला की तरफ से आपको धन्यवाद।
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