....संजय मिश्र...
पहाड़ों की वादियाँ.... कल कल करते झड़ने .... और पास ही छोटा सा घर। लोगों से दूर.... उस आबोहवा से दूर जहां बीते सालों की करवट मद्धम पद जाए....और इस घर में हो साजन का साथ....... ऐसे ही सपने देख तरुणाई बड़ी जिम्मेदारी ओढ़ लेती है... साथ साथ होने का ये अहसास आखिर दम तक फीका नहीं पड़ता...
लेकिन अमेरिका औए कनाडा की " लिबरेटेड " नारी इससे आगे देखने की आदी हो रही हैं। शादी से इनकार नहीं है ....प्रकृति - पुरूष मिलन से भी तौबा नहीं... पर महिला संगिनी का साथ इन्हें रास आने लगा है। जिन्दगी की भाग-दौर से फुर्सत मिली नहीं कि निकल पड़ती हैं देश- दुनिया की सैर पर...महिला मित्रों के साथ। --- आल गर्ल गेट अवे ---- का ये चलन पर्यटन उद्योग को नया आयाम दे रहा है।
सफल महिलाओं में बढ़ रही इस प्रवृति पर कई सर्वे हुए हैं। इनके मुताबिक़ घुमक्कड़ी के दौरान परिवार की महिलाऐं और संगिनी का साथ होने से सकून मिलता है और स्ट्रेस से निजात मिलती है। ये चलन हर तरह की आउटिंग में देखने को मिल रहा है। इस अनुभूति से वे इतनी रोमांचित हैं कि पर्यटन गाइड के तौर पर महिलाओं की ही मांग करने लगी हैं। ख़ास बात ये है कि हर उम्र की महिलाओं का रुझान इस तरफ बढ़ा है।
विशेषज्ञों की माने तो इससे -- सोसिअलाइजेसन -- की भावना मजबूत हो रही है। बड़ी बात ये है कि इन मौकों पर वो अपने बारे में सोच पाती हैं ....पति और बच्चों से दूर रह कर।। ये अहसास कि वो एक व्यक्ति हैं .... उन्हें बन्धनों से मुक्त होकर सोचने का अवसर मिलता है।
पर्यटन व्यवसाए के सर्वे के अनुसार करीब तीस फीसदी महिलाओं ने पिछले पांच सालों में इसका लुत्फ़ उठाया है। ये आंकडा चालीस फीसदी तक जाने का अनुमान है। आनंददायक पहलू ये है कि पुरूष इस ट्रेंड को उत्सुकता से देख रहे हैं।
भारत में " लिबरेटेड " और सफल महिलाओं की संख्या अच्छी- खासी है। जानकारों के अनुसार इनमे भी इस चलन का साझीदार होने का उताबलापन है। पर्यटन उद्योग को इस तरफ देखना चाहिए।
1 टिप्पणी:
बढिया है....
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